गोरखपुर। पूर्वोत्तर रेलवे के जनसंपर्क विभाग द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार भारतीय रेल ने पार्सल बिज़नेस को बढ़ावा देने के लिए बड़े स्तर पर सुधार किए हैं। इन सुधारों का सीधा लाभ छोटे व्यापारियों, किसानों व लॉजिस्टिक क्षेत्र से जुड़े उद्यमियों को मिलेगा। रेलवे ने एग्रीगेटर रजिस्ट्रेशन की शर्तों में व्यापक छूट देते हुए पार्सल सेवा को अधिक सुलभ बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाया है।
रेलवे के अनुसार एंट्री बैरियर हटाकर पार्सल बिज़नेस को नई गति देने की कोशिश की गई है। जॉइंट पार्सल प्रोडक्ट-रैपिड कार्गो सर्विस के लिए पहले लागू 50 लाख रुपये के नेट टर्नओवर का प्रावधान समाप्त कर दिया गया है। इसी तरह फ्रेट फॉरवर्डर्स और ट्रांसपोर्टर्स को एग्रीगेटर के रूप में शामिल करने के लिए एम्पैनलमेंट फीस 20,000 रुपये से घटाकर 10,000 रुपये (जीएसटी अतिरिक्त) कर दी गई है।
पार्सल कार्गो एक्सप्रेस लीजिंग पॉलिसी के तहत पीसीईटी टेंडरों में भाग लेने के लिए 10 करोड़ रुपये की वित्तीय पात्रता शर्त भी समाप्त कर दी गई है। ई-ऑक्शन के माध्यम से पार्सल वैन व एसएलआर के आवंटन में भी नेट टर्नओवर की बाध्यता हटाई गई है।
लिबरलाइज़ेशन के परिणामस्वरूप अब तक एग्रीगेटर्स की संख्या 24 से बढ़कर 102 हो गई है। इससे यात्री ट्रेनों व पार्सल कार्गो एक्सप्रेस में उपलब्ध एसएलआर स्पेस का अधिकतम उपयोग संभव हो सकेगा।
रेलवे ने एसएलआर एवं पार्सल वैन की लीज अवधि में भी लचीलापन दिया है, जिसके तहत 10 दिन से 90 दिन तक की अवधि के लिए स्पेस की लीजिंग उपलब्ध रहेगी। इसके अलावा खाली दिशा में पार्सल ट्रैफिक को प्रोत्साहित करने हेतु इंसेंटिव स्कीम लागू की गई है, ताकि कम दरों पर पार्सल बुकिंग को बढ़ावा मिल सके और लॉजिस्टिक लागत कम हो।
कॉनकोर ने भी अब एग्रीगेटर के रूप में पंजीकरण कराया है, जिसके साथ साझेदारी में रेलवे फर्स्ट माइल से लेकर लास्ट माइल तक बेहतर सेवा उपलब्ध कराएगा।
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