बस्ती। दुधौरा, कप्तानगंज में चल रही 7 दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा के दूसरे दिन आचार्य मनीष चंद्र त्रिपाठी (श्री धाम वृंदावन) ने सत्य, भक्ति और समर्पण की महिमा पर अद्भुत प्रवचन दिया।
आचार्य ने कहा कि “भागवत कथा ही साक्षात् कृष्ण हैं और कृष्ण ही साक्षात् भागवत हैं।” उन्होंने बताया कि श्रीमद्भागवत कथा मनुष्य के जीवन को कल्याण की ओर ले जाती है और यह इच्छाओं को पूर्ण करने वाली कल्पवृक्ष के समान है। कथा को निर्मल भाव से सुनना और सत्य के मार्ग पर चलना आवश्यक है।
उन्होंने यह भी बताया कि गलती होना मनुष्य स्वभाव है, लेकिन समय रहते सुधार और प्रायश्चित अनिवार्य है, अन्यथा वही गलती पाप का रूप ले लेती है। सत्य को समर्पित व्यक्ति ही सच्चे अर्थों में सत्ता का अधिकारी होता है।
आचार्य ने कलयुग के प्रारंभ, धर्म की पीड़ा, नारद के प्रयास और भगवान के विविध अवतारों का वर्णन करते हुए कहा कि भागवत कथा का श्रवण वासनाओं की ग्रंथियों को तोड़ता है और वैकुण्ठ जैसा आनंद देता है।
मंगलाचरण के महत्व पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि सत्कर्मों में विघ्न स्वाभाविक हैं। “भगवान शिव का रूप भले अमंगल प्रतीत होता हो, पर उनका स्मरण सदैव मंगलकारी है।” उन्होंने बताया कि जब तक मनुष्य सकाम है, उसका कल्याण नहीं हो सकता। ईश्वर के अनेक रूप हो सकते हैं, पर तत्व एक ही है।
कृष्ण-गांधारी संवाद, आत्मदेव, गोकर्ण, धुन्धकारी और मंगलाचरण प्रसंगों का वर्णन करते हुए आचार्य ने कहा कि प्रभु से कुछ माँगने से प्रेम की पवित्र धारा बाधित हो जाती है। गोपियों का प्रेम इसका सर्वोत्तम उदाहरण है—उन्होंने कभी कुछ नहीं माँगा और भगवान उनके स्मरण मात्र से प्रकट हुए।
कथा व्यास का विधिवत पूजन श्रीमती कलावती मिश्रा, विद्या प्रसाद मिश्र और परिजनों ने किया।
इस अवसर पर दुर्गेश कुमार मिश्र, अभिनव पांडेय, आरती पांडेय, संजू त्रिपाठी, रोली पांडेय, व्यासमुनि पाठक, जमुना प्रसाद, वीरेंद्र मिश्र, अजय शंकर, बैजनाथ मिश्र, जयराम मिश्र, मनोज मिश्रा, विपिन मिश्रा, हरेंद्र मिश्र, अनिल मिश्रा, निखिल, अनुराग मिश्र सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे।

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