बस्ती। बेलगड़ी में आयोजित नौ दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा महोत्सव का शुभारंभ वैदिक मंत्रोच्चारण और पूजन-अर्चन के साथ हुआ। कथा का सूत्रपात करते हुए आचार्य संदीप शरण शुक्ल ने कहा कि श्रीमद्भागवत कथा के श्रवण से मनुष्य में धार्मिक आस्था जागृत होती है, सद्गुणों के द्वार खुलते हैं और भक्ति, ज्ञान तथा वैराग्य की भावना प्रबल होती है।
महात्मा जी ने कहा कि “जो लोग माता-पिता की बात नहीं मानते और समाज को कष्ट देते हैं, वे धुंधकारी के समान हैं।” उन्होंने बताया कि बिना ईश्वर के संसार अपूर्ण है और परमात्मा श्रीकृष्ण परिपूर्ण आनंद स्वरूप हैं। भागवत शास्त्र का आदर्श दिव्य है—गोपियों ने अपना स्वधर्म नहीं छोड़ा, फिर भी वे भगवान को प्राप्त करने में सफल रहीं।
आचार्य शुक्ल ने कहा कि “दुःख में जो साथ दे वही ईश्वर है, सुख में साथ देने वाला जीव मात्र है। श्रीकृष्ण की वंदना से पापों का नाश होता है।” परीक्षित और शुकदेव जी के संवाद का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि सात दिन में ही परीक्षित को मुक्ति प्राप्त हुई, क्योंकि वक्ता और श्रोता दोनों योग्य थे।
कथा के दौरान महात्मा जी ने देवर्षि नारद और भक्ति की भेंट, भक्ति के दुःख दूर करने के प्रसंग सहित अनेक दिव्य प्रसंगों का वर्णन करते हुए महर्षि व्यास के भागवत रचना के मंगलकारी उद्देश्य पर प्रकाश डाला।
कथा व्यास का विधिविधान से पूजन श्रीमती आशा शुक्ला एवं अष्टभुजा प्रसाद शुक्ल ने परिवार सहित किया। कथा परमपूज्य रामचन्द्र शुक्ल एवं श्रीमती सरोज शुक्ला की स्मृति में आयोजित की गई है।
इस अवसर पर दुर्गा प्रसाद शुक्ल, डॉ. जगदम्बा प्रसाद शुक्ल, डॉ. अम्बिका प्रसाद शुक्ल, अखिलेश कुमार शुक्ल, अजय कुमार शुक्ल, आनन्द कुमार शुक्ल, विशाल शुक्ल, अभिषेक शुक्ल, आंजनेय शुक्ल, अमित शुक्ल, डॉ. मारूति शुक्ल, सर्वज्ञ शुक्ल, सूर्याश शुक्ल, मंगलम शुक्ल, आदित्य शुक्ल, आराध्य शुक्ल, शिवाय शुक्ल, अच्युत गोविन्द शुक्ल सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे।

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