कायस्थ समाज ने भगवान चित्रगुप्त से ज्ञान, न्याय और सत्य के मार्ग पर चलने का लिया संकल्प
बस्ती। धर्मशाला रोड स्थित चित्रगुप्त मंदिर में गुरुवार को कलम पूजा का आयोजन बड़े ही श्रद्धा और विधि-विधान से किया गया। वैदिक मंत्रोच्चार के बीच चित्रगुप्त महाराज की पूजा-अर्चना की गई। इस अवसर पर चित्रगुप्त मंदिर समिति और कायस्थ वाहिनी अन्तर्राष्ट्रीय के तत्वावधान में कलम पूजा, आरती, सांस्कृतिक कार्यक्रम, भजन संध्या और सहभोज का आयोजन हुआ।
मंदिर समिति के सुरेन्द्र मोहन वर्मा ने बताया कि भाई दूज के दिन चित्रगुप्त महाराज की पूजा का विशेष महत्व है। कार्तिक शुक्ल द्वितीया, जिसे यम द्वितीया कहा जाता है, पर हर वर्ष चित्रगुप्त पूजा की जाती है। उन्होंने कहा कि चित्रगुप्त महाराज देवताओं के लेखपाल हैं, जो मनुष्यों के पाप-पुण्य का लेखा-जोखा रखते हैं। इस दिन नई लेखनी या कलम को उनका प्रतीक मानकर पूजा करने से जीवन में सद्बुद्धि और न्याय की भावना का विकास होता है।
कायस्थ वाहिनी अन्तर्राष्ट्रीय के प्रमुख पंकज भैय्या ने कहा कि भगवान चित्रगुप्त ब्रह्मदेव की संपूर्ण काया से उत्पन्न हुए थे, इसी कारण उन्हें कायस्थ कहा गया। वे ज्ञान और न्याय के देवता हैं तथा यमराज के सहायक देव के रूप में जीवों के कर्मों का लेखा प्रस्तुत करते हैं। उन्होंने कहा कि भगवान चित्रगुप्त का स्मरण समाज को सत्य, कर्म और न्याय के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है।
कलम पूजा के बाद प्रसिद्ध कथा वाचक सौरभ श्रीवास्तव ने भगवान चित्रगुप्त की कथा सुनाई, जिसे श्रद्धालुओं ने भाव-विभोर होकर सुना। आयोजन में कायस्थ वाहिनी के प्रदेश महासचिव मनीष श्रीवास्तव और उपसचिव कमलेश श्रीवास्तव का विशेष योगदान रहा।
कार्यक्रम में भाजपा के वरिष्ठ नेता अंकुर वर्मा, रूपेश श्रीवास्तव, सत्येन्द्र श्रीवास्तव, अश्विनी श्रीवास्तव, राजेश श्रीवास्तव ‘रसिक’, अनूप खरे, मनमोहन श्रीवास्तव ‘काजू’, कौशल किशोर श्रीवास्तव, सहित बड़ी संख्या में कायस्थ समाज के लोग उपस्थित रहे। श्रद्धालुओं ने भगवान चित्रगुप्त से ज्ञान, सत्य और न्याय के मार्ग पर चलने का संकल्प लिया।

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