इस अवसर पर राहुल श्रीवास्तव ने कहा कि चित्रगुप्त भगवान ज्ञान, लेखनी और सत्य के प्रतीक हैं। हमें सदैव ईमानदारी और समाज सेवा के मार्ग पर चलना चाहिए।
रितेश श्रीवास्तव ही ने कहा कि कलम पूजा हमें यह प्रेरणा देती है कि ज्ञान का सम्मान करें और समाज में शिक्षा का प्रकाश फैलाएँ।
धर्मेंद्र श्रीवास्तव ने कहा कि कायस्थ समाज सदा से बुद्धिजीवियों का समाज रहा है और हमें अपनी इस परंपरा को नई पीढ़ी तक पहुँचाना चाहिए।
डा. नवीन श्रीवास्तव ने कहा कि चित्रगुप्त पूजा केवल धार्मिक कार्यक्रम नहीं बल्कि हमारे सांस्कृतिक गौरव का प्रतीक है।
एडवोकेट दिनेश श्रीवास्तव ने कहा कि एकता और संगठन से ही समाज मजबूत बनता है, और ऐसे आयोजनों से आपसी भाईचारा बढ़ता है।
गिरीश श्रीवास्तव ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि आज के युग में लेखनी की ताकत सबसे बड़ी है, इसका उपयोग समाज और देश की उन्नति के लिए होना चाहिए।
कार्यक्रम के अंत में भगवान चित्रगुप्त की आरती एवं प्रसाद वितरण किया गया।
इस दौरान राकेश श्रीवास्तव, दीपक श्रीवास्तव, अभय श्रीवास्तव, अनमोल श्रीवास्तव, मुकेश श्रीवास्तव, रितेश श्रीवास्तव, दीक्षांतनवीन, दृष्टि श्रीवास्तव, दृग श्रीवास्तव, राजा श्रीवास्तव, तन्नू श्रीवास्तव, रवि श्रीवास्तव, अंकुर श्रीवास्तव सहित अन्य लोग उपस्थित रहे।

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