महिलाओं का मानसिक रूप से सशक्त होना ही वास्तविक सशक्तिकरण — कुलपति प्रो. पूनम टंडन
गोरखपुर। दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के फार्मेसी संस्थान में शुक्रवार को उत्तर प्रदेश सरकार के प्रमुख महिला सशक्तिकरण अभियान “मिशन शक्ति 5.0” के अंतर्गत महिलाओं के मानसिक स्वास्थ्य संरक्षण विषय पर एक विशेष व्याख्यान का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम का शुभारंभ पारंपरिक दीप प्रज्वलन से हुआ। इस अवसर पर मुख्य अतिथि कुलपति प्रो. पूनम टंडन, न्यूरोसाइकियाट्रिस्ट डॉ. वर्तिका पांडेय (केजीएमसी लखनऊ एवं बीआरडी मेडिकल कॉलेज गोरखपुर), मिशन शक्ति 5.0 की नोडल अधिकारी प्रो. (मेजर) विनीता पाठक तथा फार्मेसी संस्थान के निदेशक प्रो. अमित कुमार निगम उपस्थित रहीं।
कुलपति प्रो. पूनम टंडन ने कहा कि “मिशन शक्ति 5.0 मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक क्रांतिकारी पहल है। मानसिक रूप से मजबूत महिला ही समाज में सकारात्मक बदलाव की वाहक बन सकती है।”
प्रो. विनीता पाठक ने कहा कि मिशन शक्ति अभियान महिलाओं की सुरक्षा, सम्मान और आत्मनिर्भरता सुनिश्चित करने का एक सशक्त माध्यम है। उन्होंने बताया कि इसका पाँचवाँ चरण नवरात्रि से प्रारंभ होकर 90 दिनों तक चलेगा, जिसमें महिलाओं के शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता दी गई है।
विशेष व्याख्यान में डॉ. वर्तिका पांडेय ने “महिलाओं की मानसिक स्वास्थ्य संरक्षण: बदलाव की रणनीतियाँ” विषय पर विस्तार से विचार रखे। उन्होंने कहा कि महिलाएं परिवार, समाज और कार्यस्थल की जिम्मेदारियों में उलझकर अक्सर मानसिक दबाव का सामना करती हैं। इस स्थिति से निपटने के लिए उन्होंने माइंडफुलनेस, परामर्श, सामुदायिक सहयोग और सरकारी योजनाओं का लाभ लेने पर बल दिया।
छात्र-छात्राओं ने व्याख्यान के दौरान मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े अनेक प्रश्न पूछे, जिनका डॉ. पांडेय ने विस्तार से उत्तर दिया। उन्होंने तनाव प्रबंधन और आत्म-देखभाल के व्यावहारिक उपाय साझा किए।
कार्यक्रम के अंत में प्रो. अमित कुमार निगम ने सभी अतिथियों और प्रतिभागियों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि यह आयोजन मिशन शक्ति के उद्देश्यों को सार्थक करने में सहायक सिद्ध होगा।
इस अवसर पर डॉ. सरिता सिंह, डॉ. विशाल विश्वकर्मा, डॉ. अनुराग गौतम, अभय एम.एल. वर्मा, राजकिशोर, गौरीश नारायण सिंह, सनाबोर परवीन, आशीर्वाद जायसवाल तथा डॉ. शिखा सिंह सहित फार्मेसी संस्थान के संकाय सदस्य मौजूद रहे। विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों के सैकड़ों छात्र-छात्राएँ, शिक्षक एवं सामाजिक कार्यकर्ता भी कार्यक्रम में सम्मिलित हुए।

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