<!--Can't find substitution for tag [blog.voiceofbasti.page]--> - Voice of basti

Voice of basti

सच्ची और अच्छी खबरें

Breaking

वॉयस ऑफ बस्ती में आपका स्वागत है विज्ञापन देने के लिए सम्पर्क करें 9598462331

Tuesday, July 1, 2025

परी के गुनहगारों के साथ खड़ी है सरदार सेना


बस्ती। जिले के पैकोंलिया थानान्तर्गत जीतीपुर गांव में 15 जून को जमीन को लेकर हुए विवाद में चाकुओं से गोदकर 13 साल की नाबालिग की बच्ची परी श्रीवास्तव की हत्या कर दी गई थी और परिवार के कई सदस्यों को मारकर अधमरा कर दिया गया था। पूरा जिला जानता है कि जिस जमीन को लेकर विवाद हुआ वह अतुल श्रीवास्तव की है। पैमाइश में सब कुछ साफ हो चुका था। अतुल श्रीवास्तव जब इस जमीन पर मिट्टी गिराने लगे तो दूसरे पक्ष ने इस पर आपत्ति किया जो बिलकुल नाजायज था। 

अतुल और उनके परिवार को डराने व जान से मारने की नीयत से अतुल श्रीवास्तव और उनके परिजनों पर जानलेवा हमला कर दिया जिसमे एक बच्ची की जान चली गई। लेकिन सरदार सेना उन्हे दोषी नही मानता है। कुछ पदाधिकारियों ने राज्यपाल को ज्ञापन भेजकर अतुल और उनके पूरे परिवार को दोषी ठहरा रहा है और निर्दोषों को रिहा करने की मांग कर रहा है। नाम सरदार सेना है काम बंटाधार करना है। दरअसल लोग जीतीपुर जमीनी विवाद को जातिवाद से जोड़कर देख रहे हैं। यही कारण है कि क्षेत्रीय विधायक व सांसद पीड़ित परिवार से मिलने नही पहुंचे। उन्हे डर है कि वोट बैंक प्रभावित होगा। 

जनता द्वारा चुने गये प्रतिनिधियों की ऐसी सोच होगी तो देश और समाज कभी सही रास्ते पर नही चलेगा और न किसी को न्याय मिल पायेगा। इस घटिया दर्जे की राजनीति की जितनी निंदा की जाये कम है। पूरा जिला थूक रहा है ऐसे लोगों पर जो अतुल श्रीवास्तव के परिवार को ही दोषी बता रहे हैं। जो सही गलत में फर्क न करके सिर्फ और सिर्फ अपनों का ही पक्ष लेते हैं ऐसे लोगों को वक्त ही समझा सकता है। इस घटना में स्थानीय पुलिस की लारपवाही सामने आई थी जिसमे थानाध्यक्ष समेत तीन पुलिसकर्मी सस्पेन्ड हुए थे। जानकारी मिली थी कि पुलिस और राजस्व अधिकारियों के सामने विवादित जमीन की पैमाइश हुई थी और इसका चिन्हांकन भी हुआ था। 

मासूम परी की निर्मम हत्या को लेकर लोगों में काफी गुस्सा देखा था। कई संगठनों ने इसका विरोध दर्ज राते हुये हत्यारों को फांसी की सजा दिये जाने की मांग किया था। जमीनी विवाद में एक पक्ष अतुल श्रीवास्तव और उनका पिरवार था जिसकी जमीन थी और दूसरा पक्ष दूधनाथ वर्मा और अमरनाथ वर्मा थे। दूधनाथ वर्मा पर परी की हत्या का आरोप है। बाकी सहयोगियों ने अतुल श्रीवास्तव और उनके परिवार पर जानलेवा हमला किया था। घटना के बारे में जानकारी ली गई तो पता चला कि दूसरा पक्ष अतुल श्रीवास्तव और उनके परिवार को खत्म करना चाहता था। 

एक तरह से यह नरसंहार का मामला था। परी श्रीवास्तव की हत्या के बाद कायस्थ सेवा ट्रस्ट, कायस्थ वाहिनी, अखिल भारतीय कायस्थ महासभा, चित्रांश क्लब के लोगों ने घटना की निंदा करते हुये हत्यारों को फांसी की सजा दिये जाने की थी। फिलहाल तमाम कायस्थ संगठनों ने सरदार सेना के ज्ञापन पर आपत्ति दर्ज कराते हुये इसे एकतरफा और अन्याय का पक्षधर बताया है। यहां यह बात गंभीरता से जानने और समझने की जरूरत है सामाजिक या राजनीतिक क्षेत्र में सक्रिय संस्थायें न्याय का पक्ष न लेकर अपनो का पक्ष का लेंगे तो न्याय का दम घुटता रहेगा और अभी न जाने कितनी परियों को बलिदान देना होगा।

No comments:

Post a Comment

Post Bottom Ad

Responsive Ads Here

Pages