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Monday, June 30, 2025

आकांक्षात्मक जनपदों और विकासखण्डों में जहां भी रिक्तियां हैं, वहां त्वरित नियुक्ति सुनिश्चित की जाए- सीएम

लखनऊ । उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा ने जनभागीदारी, नवाचार, पारदर्शिता और समयबद्ध क्रियान्वयन आकांक्षात्मक विकासखण्ड एवं आकांक्षात्मक जनपद कार्यक्रम की सफलता का मूल मंत्र है। प्रदेश सरकार आकांक्षात्मक क्षेत्रों को विकास की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए पूरी प्रतिबद्धता के साथ कार्य कर रही है। उन्होंने निर्देश दिए कि सभी विभाग सामूहिक समन्वय और ठोस कार्ययोजना के साथ अपने लक्ष्यों की प्राप्ति की दिशा में आगे बढ़ें।

मुख्यमंत्री यहां अपने सरकारी आवास पर आहूत एक उच्चस्तरीय बैठक में प्रदेश के आकांक्षात्मक जनपदों एवं विकासखण्डों की प्रगति की समीक्षा कर रहे थे। मुख्यमंत्री के निर्देशानुसार वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा आकांक्षात्मक जनपदों एवं विकासखण्डों में किए गए स्थलीय भ्रमण की रिपोर्ट बैठक में प्रस्तुत की गई, जिसमें जमीनी स्तर पर योजनाओं के क्रियान्वयन, नवाचारों की उपलब्धि तथा आवश्यक सुधार बिन्दुओं पर विस्तार से चर्चा की गई।

फील्ड विजिट रिपोर्ट के अनुसार 108 आकांक्षात्मक विकासखण्डों में कुल 272 विद्यालय, 301 आंगनबाड़ी केन्द्र, 232 स्वास्थ्य इकाइयाँ, 229 ग्राम पंचायत सचिवालय एवं 275 अन्य संस्थानों का निरीक्षण किया गया। वर्तमान में 497 एफ0पी0ओ0 सक्रिय हैं और 6,595 बी0सी0 सखी वित्तीय समावेशन के क्षेत्र में कार्य कर रही हैं। 106 विकासखण्डों ने ‘ब्लॉक डेवेलपमेण्ट स्ट्रेटजी’ के अनुरूप अपने लक्ष्यों की प्राप्ति की है। इसी क्रम में प्रमुख सचिव/सचिव स्तर के वरिष्ठ अधिकारियों ने राज्य के 08 आकांक्षात्मक जनपदों-बहराइच, बलरामपुर, चन्दौली, चित्रकूट, फतेहपुर, सिद्धार्थनगर, सोनभद्र और श्रावस्ती का भी गहन निरीक्षण किया है।

मुख्यमंत्री ने विकास की वास्तविक स्थिति के प्रभावी मूल्यांकन के लिए डेटा संग्रहण प्रणाली को और बेहतर करने पर बल देते हुए निर्देश दिये कि निरीक्षण रिपोर्टों के आंकड़ों का विश्लेषण करते हुए योजनाओं की गहन मॉनीटरिंग सुनिश्चित की जाए। भ्रमण के दौरान प्रकाश में आये अच्छे कार्यों से मुख्यमंत्री जी को अवगत कराते हुए बताया गया कि जनपद बलरामपुर में ‘माँ पाटेश्वरी पुनर्वास योजना’ के अन्तर्गत बाढ़ प्रभावितों के पुनर्वास की प्रभावी व्यवस्था की गई है। जनपद चित्रकूट में सभी ग्राम पंचायतों में कॉमन सर्विस सेण्टर स्थापित किए गए हैं तथा स्वास्थ्य और पोषण संकेतकों में उल्लेखनीय सुधार दर्ज किया गया है। जनपद अमेठी के शुकुलबाजार में तैनात सी0एम0 फेलो द्वारा घर-घर जाकर 2,198 आयुष्मान कार्ड बनाए गए, 106 आंगनबाड़ी केन्द्रों पर वजन मशीनें क्रियाशील कराई गईं और पात्र बच्चों को मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना से जोड़ा गया है।

मुख्यमंत्री ने विकास की दिशा में हुए नवाचारों की विशेष सराहना की। महोबा के कबरई विकासखण्ड में कार्यरत ‘आशियाना बायो एनर्जी फॉर्मर प्रोड्यूसर कम्पनी लिमिटेड’ द्वारा हस्तकला, खाद्य पदार्थों आदि हेतु मार्ट, नर्सरी सोलर पैनल, जैविक कृषि, फार्म मशीनरी, बायोगैस संयंत्र और ग्रामीण पर्यटन को समाहित कर हट्स, सेल्फी प्वॉइण्ट और रेस्टोरेण्ट की व्यवस्था की गई है। बांसडीह, जनपद बलिया में ऑर्गेनिक तरीके से 06 हेक्टेयर में नींबू का उत्पादन एवं निर्यात के प्रयासों की मुख्यमंत्री जी ने सराहना की। इसी प्रकार, पूरेडलई, जनपद बाराबंकी में प्रतिभा महिला स्वयं सहायता समूह द्वारा संचालित ब्यूटी पार्लर से लगभग 15 हजार रुपये की आमदनी के प्रयासों को भी सराहना मिली।

मुख्यमंत्री ने जनपद फतेहपुर में प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र स्तर पर स्थापित आर्टिफिशियल इण्टेलीजेंस आधारित कैंसर स्क्रीनिंग सेण्टर को तकनीकी नवाचार का उत्कृष्ट उदाहरण बताते हुए कहा कि ऐसे प्रयोग अन्य जनपदों में भी अपनाए जाने चाहिए। उन्होंने निर्देश दिये कि जिन क्षेत्रों में नवाचारों के माध्यम से बेहतर परिणाम सामने आए हैं, वहां की कार्यप्रणाली को अन्य ब्लॉकों में दोहराया जाए।

भ्रमण के दौरान अधिकारियों ने विद्यालयों, आंगनबाड़ी केन्द्रों, स्वास्थ्य इकाइयों, ग्राम सचिवालयों, स्किल सेण्टरों, पोषण पुनर्वास केन्द्रों और एफ0पी0ओ0 इकाइयों का विस्तृत निरीक्षण किया। कुछ क्षेत्रों में बुनियादी सेवाओं की निरन्तरता, मानव संसाधन की पर्याप्त उपलब्धता और सेवा वितरण प्रणाली में सुधार की आवश्यकता को रेखांकित किया गया, जिस पर मुख्यमंत्री जी ने सभी सम्बन्धित विभागों को तत्काल प्रभावी कदम उठाने के निर्देश दिए।

मुख्यमंत्री ने स्पष्ट कहा कि आकांक्षात्मक जनपद और विकासखण्ड राज्य सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता में हैं। इन क्षेत्रों में किसी भी महत्वपूर्ण पद पर रिक्ति स्वीकार्य नहीं है। उन्होंने निर्देश दिये कि जहां भी रिक्तियां हैं, वहां त्वरित नियुक्ति सुनिश्चित की जाए। उन्होंने यह भी कहा कि किसी भी अधिकारी को अतिरिक्त कार्यभार सौंपते समय यह अवश्य देखा जाए कि सम्बन्धित प्रभारी अधिकारी दोनों स्थानों पर व्यावहारिक रूप से उपलब्ध रह सकता है। ऐसी स्थिति में यह उचित नहीं होगा कि प्रभार जनपद के बाहर पदस्थ किसी अन्य अधिकारी को दिया जाए, जिससे कार्य की गति प्रभावित हो।

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