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Monday, June 30, 2025

उ0प्र0 की एक ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था के लक्ष्य में खनन क्षेत्र की अत्यन्त महत्वपूर्ण भूमिका : मुख्यमंत्री

लखनऊ । मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि उत्तर प्रदेश की एक ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था के लक्ष्य में खनन क्षेत्र की अत्यन्त महत्वपूर्ण भूमिका है। यह क्षेत्र अब केवल खनिज उत्पादन का जरिया नहीं, बल्कि राज्य की आर्थिक प्रगति, निवेश संवर्धन और स्थानीय रोजगार सृजन का प्रभावशाली केंद्र बन गया है। 

मुख्यमंत्री ने अपने सरकारी आवास पर आहूत एक उच्चस्तरीय बैठक में भूतत्व एवं खनिकर्म विभाग के कार्यों की समीक्षा कर रहे थे। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश की खनन नीति अब पारदर्शिता और तकनीकी दक्षता का संगम बन चुकी है। वित्तीय वर्ष 2021-22 से वर्ष 2024-25 तक खनिज राजस्व में औसतन 18.14 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि दर्ज की गई है। वर्ष 2024-25 में मुख्य खनिजों से 608.11 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ, जबकि वर्ष 2025-26 में केवल मई माह तक ही 623 करोड़ रुपये की राजस्व प्राप्ति हो चुकी है, जो इस क्षेत्र की लगातार प्रगति और विभाग की दक्षता को दर्शाता है।

मुख्यमंत्री को अवगत कराया गया कि हाल के वर्षों में फॉस्फोराइट, लौह अयस्क और स्वर्ण जैसे मुख्य खनिजों के पट्टों की सफलतापूर्वक नीलामी की गई है। उन्होंने निर्देश दिए कि कम्पोजिट लाइसेंस प्रक्रिया को और तेज किया जाए तथा सम्भावित खनन क्षेत्रों की अग्रिम पहचान और भू-वैज्ञानिक रिपोर्टों की समयबद्ध तैयारी सुनिश्चित की जाए। उन्होंने यह भी रेखांकित किया कि स्पष्ट, पारदर्शी और प्रोत्साहक नीतियों के चलते जे0एस0डब्ल्यू0, अडानी ग्रुप, टाटा स्टील, अल्ट्राटेक सीमेंट जैसी अग्रणी कम्पनियां प्रदेश में निवेश को लेकर गहरी रुचि दिखा रही हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य को स्टेट माइनिंग रेडीनेस इंडेक्स (एस0एम0आर0आई0) में शीर्ष रैंकिंग दिलाने के लिए विभाग द्वारा 70 से अधिक उप-संकेतकों पर ठोस कार्य किया गया है। राज्य के सभी खनन जनपदों में 100 प्रतिशत ‘माइन सर्विलांस सिस्टम’ लागू कर दिया गया है। पर्यावरणीय मंजूरियों की औसत अवधि में उल्लेखनीय सुधार आया है और नियामकीय प्रक्रिया अधिक पारदर्शी बनी है। उन्होंने निर्देश दिए कि एस0एम0आर0आई0 में ’कैटेगरी-ए’ की स्थिति सुनिश्चित करने के लिए शेष सुधारों को निश्चित समयसीमा में पूर्ण किया जाए।

मुख्यमंत्री ने अवैध खनन, परिवहन और भण्डारण की गतिविधियों पर प्रभावी रोकथाम सुनिश्चित करने के उद्देश्य से ट्रांसपोर्टरों के साथ समन्वय बनाकर एक मजबूत निगरानी तंत्र स्थापित करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि नदी के कैचमेंट एरिया में कहीं भी खनन की अनुमति नहीं दी जाएगी और यदि ऐसी गतिविधियां सामने आती हैं तो जिम्मेदार अधिकारियों की जवाबदेही तय होगी।

विभागीय अधिकारियों द्वारा मुख्यमंत्री जी को अवगत कराया कि अब तक 57 तकनीक-सक्षम चेकगेट्स स्थापित किए जा चुके हैं। 21,477 वाहन काली सूची में डाले गए हैं। जबकि व्हीकल ट्रैकिंग सिस्टम (वी0टी0एस0), कलर कोडिंग, व्हाइट टैगिंग जैसी प्रणालियाँ प्रभावी ढंग से कार्य कर रही हैं। मुख्यमंत्री जी ने निर्देश दिए कि केवल मानक जी0पी0एस0 युक्त वाहन ही खनिज परिवहन हेतु अधिकृत किए जाएं और उन्हें वी0टी0एस0 मॉड्यूल से रीयल टाइम ट्रैक किया जाए।

ड्रोन सर्वेक्षण और पी0जी0आर0एस0 प्रयोगशाला के सहयोग से वर्ष 2024 से अब तक 99 सम्भावित खनन क्षेत्रों की पहचान की गई है। जिनमें से 23 खनन के योग्य पाए गए हैं। मानसून उपरांत 52 क्षेत्रों में बालू/मौरंग के भण्डार का भी मूल्यांकन किया गया है। उन्होंने निर्देशित किया कि संचालित पट्टों की निगरानी और वॉल्यूमेट्रिक एनालिसिस के माध्यम से खनन के वास्तविक आंकलन की प्रक्रिया को और गति दी जाए।

बैठक में मुख्यमंत्री को यह भी अवगत कराया गया कि ईंट भट्ठों से विनियमन शुल्क के रूप में वर्ष 2024-25 में 258.61 करोड़ रुपये तथा वर्ष 2025-26 में अब तक 70.80 करोड़ रुपये का राजस्व अर्जित किया गया है। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि इस क्षेत्र को भी तकनीक-सक्षम बनाते हुए सभी ईंट भट्ठा संचालकों से संवाद कर नवाचारों से जोड़ा जाए। उपखनिजों के नए पट्टों की प्रक्रिया मानसून काल में पूरी की जाए, ताकि आगामी 15 अक्टूबर से खनन कार्य प्रारम्भ हो सके। इसके साथ ही, उन्होंने जिला खनन निधि (डी0एम0एफ0) के समुचित उपयोग पर बल देते हुए कहा कि इसका उपयोग आंगनबाड़ी केंद्रों की स्थापना, खेल मैदानों के विकास, स्वास्थ्य, कौशल प्रशिक्षण और जल-ऊर्जा संरक्षण जैसे लोकहितकारी कार्यों में प्राथमिकता से किया जाए।


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