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Wednesday, March 13, 2024

औषधि वाटिका में खिला एलोवेरा का फूल बना कौतूहल

 - राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय नगर बाजार की आयुष वाटिका में खिला घृतकुमारी यानी कि एलोवरा का फूल

बस्ती। राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय नगर बाजार की औषधि वाटिका में एलोवरा यानी कि घृतकुमारी का फूल इन दिनों कौतूहल पैदा कर रहा है। जानकारों के अनुसार यह एक दुलर्भ व गुणकारी पुष्प माना जाता है।

2019-20 में बस्ती- संतकबीरनगर के तत्कालीन क्षेत्रीय आयुर्वेदिक एवं यूनानी अधिकारी डॉ. वीके श्रीवास्तव की पहल पर नगर बाजार आयुष चिकित्सालय व वेलनेस सेंटर पर कोरोना काल से आयुष वाटिका स्थापित की गई है।  यहां के तमाम औषधीय पौधे अपनी उपयोगिता से भरे पड़े हैं। यहां घृतकुमारी (एलोवेरा) का पौधा भी रोपित किया गया है। इसमें तीन दिन पहले कलियां फूटीं और अब खूबसूरत फूल खिले तो लोगों के आश्चर्य का कोई ठिकाना नहीं रहा। कारण यह है कि एलोवरा के पौधे तो बहुत रोपे जाते हैं लेकिन पुष्प यदा कदा तकरीबन चार साल की आयु सीमा पार करने के बाद खिलते हैं। एलोवेरा का यह फूल बहुत ही दुर्लभ और धार्मिक दृष्टिकोण से बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। यह महालक्ष्मी का अति प्रिय पुष्प कहा जाता है और यह बहुत ही गुणकारी होता है।

त्वचा रोग व तंत्र विद्या में भी होता है पुष्प का प्रयोग

बस्ती-संतकबीरनगर के क्षेत्रीय आयुर्वेदिक एवं यूनानी अधिकारी डॉ. रमाशंकर गुप्ता ने बताया कि बड़ी संख्या में लोग अपने घर के लॉन व खेतों में एलोवेरा का पौधा रोपित करते हैं लेकिन उन्हें इस दुर्लभ फूल का दर्शन शायद ही प्राप्त हुआ हो। यह धार्मिक रूप से जहां महत्ता लिए हुए है, वहीं एलोवेरा का जूस पेट के रोगों के लिए भी गुणकारी है। 

विश्व आयुर्वेद परिषद की जिला उपाध्यक्ष व बस्ती-संतकबीरनगर की आयुष मीडिया प्रभारी डॉ. लक्ष्मी सिंह ने बताया कि एलोवेरा का पौधा जहां त्वचा रोग दूर करने में प्रयोग किया जाता है, वहीं यह घर सकारात्मक उर्जा भी लाता है। इसका फूल धन को आकर्षित करता है। 

राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय नगर बाजार के चीफ फार्मासिस्ट आरपी सिंह के अनुसार इस पुष्प का तंत्र व ज्योतिष विधा में भी प्रयोग किया जाता है। तांत्रिक लोग इसे अपने पास रखते हैं। जो कई मायनों में सिद्धि का कारक माना जाता है। पूजा स्थल पर रखने से महालक्ष्मी अपनी कृपा बरसाती हैं।

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