- भाजपा जिलाध्यक्ष व एसीएमओ डॉ वीपी पांडेय ने किया अभियान का शुभारंभ
- दो वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को स्वास्थ्यकर्मी के सामने करना है दवा का सेवन
- गर्भवती और अति गंभीर बीमार को छोड़कर सभी करें दवा का सेवन
- एक से दो वर्ष तक के बच्चों को खानी है पेट के कीड़े निकालने की दवा
संतकबीरनगर। जिले में लाइलाज बीमारी फाइलेरिया के उन्मूलन के लिए सर्वजन दवा सेवन (एमडीए) अभियान गुरूवार से शुरू हुआ, जो कि 28 अगस्त तक चलेगा। मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय पर इस अभियान की शुरूआत संयुक्त रुप भाजपा जिलाध्यक्ष जगदंबा लाल श्रीवास्तव तथा अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी वेक्टर बार्न डिजीज कंट्रोल प्रोग्राम डॉ वी पी पांडेय ने प्रचार वाहनों को हरी झंडी दिखाकर तथा खुद फाइलेरिया की दवाओं का सेवन करके किया। अभियान के दौरान आशा कार्यकर्ता व स्वास्थ्यकर्मी घर - घर जाएंगे और अपने सामने ही दो वर्ष से अधिक उम्र के सभी लोगों को फाइलेरिया से बचाव की दवा का सेवन कराएंगे। गर्भवती और अति गंभीर बीमार को दवा का सेवन नहीं करना है। एक से दो वर्ष तक के बच्चों को सिर्फ पेट के कीड़े निकालने की दवा खिलाई जाएगी।
भाजपा जिलाध्यक्ष जगदंबा लाल श्रीवास्तव ने जनपदवासियों से अपील की है कि वह खुद दवा का सेवन करें और आस-पास के लोगों को दवा सेवन के लिए प्रेरित करें। दवा का सेवन खाली पेट नहीं करना है। स्वास्थ्यकर्मी के सामने ही दवा खानी है। दवा का सेवन सिर्फ फाइलेरिया मरीज को नहीं, बल्कि दो वर्ष से अधिक आयु के प्रत्येक स्वस्थ व्यक्ति को करना है। पांच साल में पांच बार यानी साल में एक बार इस दवा का सेवन कर लेने से फाइलेरिया (हाथीपांव व हाइड्रोसील) से बचाव होगा। उन्होंने फाइलेरिया उन्मूलन की शपथ दिलाई और अभियान के समर्थन में हस्ताक्षर भी किया।
प्रभारी सीएमओ व अपर मुख्य चिकित्साधिकारी वेक्टर बार्न डिजीज कंट्रोल प्रोग्राम डॉ वी पी पांडेय ने बताया कि सीएमओ डॉ अनिरुद्ध कुमार सिंह के निर्देशन में जिले की करीब 17.17 लाख की आबादी को दवा का सेवन कराया जाएगा। दवा के निर्धारित डोज का सेवन आशा कार्यकर्ता या स्वास्थ्यकर्मी के सामने ही करना है। अगर टीम पहुंचने पर घर का कोई सदस्य उपस्थित नहीं है तो वह आशा कार्यकर्ता के घर जाकर उनकेसामने ही दवा का सेवन करें। अभियान के संचालन के लिए 2150 टीम बनाई गई हैं जिन पर नजर रखने के लिए 90 से अधिक पर्यवेक्षकों को लगाया गया है। कीड़े मारने की 19 लाख टैबलेट तथा फाइलेरिया से रोकथाम की 48 लाख टैबलेट अभियान में लगाए गए सभी टीमों तक पहुंचा दी गयी है। फाइलेरिया से बचाव की दवा शरीर में इसके परजीवियों को मारती है जिसके प्रतिक्रिया स्वरूप कभी कभी सिर दर्द, शरीर दर्द, बुखार, उल्टी और बदन पर चकत्ते जैसे लक्षण सामने आते हैं। यह लक्षण स्वतः ठीक हो जाते हैं और जिनमें यह लक्षण आ रहे हैं उन्हें खुश होना चाहिए कि वह फाइलेरिया से मुक्त हो रहे हैं। जरूरी समझने पर आशा कार्यकर्ता की मदद से रैपिड रिस्पांस टीम (आरआरटी) या नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र की सेवाएं ले सकते हैं। उन्होंने बताया कि जिले में हाथीपांव के 400 से ज्यादा और हाइड्रोसील के 130 से अधिक मरीज चिन्हित हैं। फाइलेरिया ग्रसित इन जैसे और भी मरीज न आएं इसी उद्देश्य से बड़ी आबादी को दवा का सेवन करवाना होगा, जिसमें सामुदायिक सहयोग अपेक्षित है।
इस दौरान जिला सर्विलांस अधिकारी व एसीएमओ डॉ. आरपी मौर्या ने कहा कि फाइलेरिया बीमारी संक्रमित मादा क्यूलेक्स मच्छर के काटने से होती है। मच्छरदानी के प्रयोग और आस-पास साफ सफाई रखने के साथ साथ साल में एक बार दवा के सेवन से ही इस बीमारी से बचा जा सकता है। यह बीमारी विश्व में दीर्घकालिक दिव्यांगता का दूसरा प्रमुख कारण है। एक बार हाथीपांव या हाइड्रोसील हो जाने पर उसे सिर्फ नियंत्रित किया जा सकता है, पूरी तरह से ठीक नहीं किया जा सकता। दवा सेवन ही श्रेष्ठ उपाय है।
इस अवसर पर एसीएमओ डॉ महेन्द्र प्रसाद, जिला अस्पताल के अधीक्षक डॉ महेश प्रसाद, जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ एसडी ओझा, एसीएमओ डॉ सोहन गुप्ता, डब्ल्यूएचओ के डीएमओ डॉ अंकुर सांगवान, जिला महामारी रोग विशेषज्ञ डॉ मुबारक अली, मलेरिया निरीक्षक व फाइलेरिया अधिकारी प्रेम प्रकाश, मलेरिया निरीक्षक दीपक यादव, अतिन श्रीवास्तव, पीसीआई के जिला समन्वयक दिलीप त्रिपाठी, पाथ संस्था की जिला समन्वयक संतोषी कुमारी, यूपीटीएसयू के बशीर खान के साथ ही भाजपा नेता हैपी राय, चिक्कन सिंह के साथ ही अन्य लोग प्रमुख तौर पर मौजूद रहे।
पहली बार किया दवा का सेवन
खलीलाबाद नगर के मड़या निवासी 15 वर्षीय मुकेश ने बताया कि उन्होंने पहली बार फाइलेरिया रोधी दवा का सेवन किया है। इसके लिए उन्हें शिक्षक रवि प्रकाश श्रीवास्तव ने प्रेरित किया। अतरौरा की 17 वर्षीया आराधना ने बताया कि उन्होंने पहली बार फाइलेरिया की दवा खाई है। उनके गांव की आशा कार्यकर्ता सुनीता ने फाइलेरिया के बारे में बताया और दवा खिलाई । दवा खाने के बाद उन्हें कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं दिखाई दिया।
सहयोग कर रहे हैं विभिन्न संगठन
एसीएमओ डॉ वी पी पांडेय ने बताया कि दवा सेवन के प्रति लोगों को जागरूक करने में जिले के समाजसेवियों, स्कूलों के प्रधानाचार्य व प्रबंधकों, पाथ, डब्ल्यूएचओ, पीसीआई, सीफॉर, यूनीसेफ, रोटरी क्लब, व्यापार मंडल, आर्ट आफ लिविंग व अन्य संस्थाओं का सहयोग मिल रहा है।
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