गोरखपुर। सरस्वती शिशु मंदिर (10+2) पक्कीबाग, गोरखपुर में मंगलवार को गीता जयंती का पावन अवसर धूमधाम और श्रद्धा के साथ मनाया गया। कार्यक्रम में विद्यालय परिवार के सभी विद्यार्थी, शिक्षकगण, कर्मचारी, परिवहन विभाग के ड्राइवर तथा अभिभावकगण उपस्थित रहे।
कार्यक्रम की अध्यक्षता विद्यालय की उप प्रधानाचार्या रुक्मिणी उपाध्याय ने की। उन्होंने अपने प्रेरणादायी संबोधन में कहा कि गीता केवल एक धार्मिक ग्रंथ नहीं, बल्कि जीवन जीने की कला, कर्म का विज्ञान और मन को स्थिर रखने का मार्ग है। उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि गीता का संदेश उन्हें कठिन समय में धैर्य, साहस और लगन के साथ आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है।
उन्होंने गीता के प्रसिद्ध श्लोक “कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन” का उल्लेख करते हुए विद्यार्थियों को निष्ठा, अनुशासन और ईमानदारी के साथ अध्ययन करने की प्रेरणा दी।
उप प्रधानाचार्या ने शिक्षकगण को बच्चों के चरित्र-निर्माण और उज्ज्वल भविष्य गढ़ने में उनके अमूल्य योगदान के लिए धन्यवाद देते हुए कहा कि गीता का उपदेश शिक्षकों के कर्तव्यनिष्ठ और प्रकाशमान मार्गदर्शन की पुष्टि करता है।
विद्यालय के कर्मचारी एवं परिवहन विभाग के ड्राइवरों की सेवा की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि उनकी निष्ठा, सजगता और धैर्य विद्यालय की सुचारू व्यवस्था और विद्यार्थियों की सुरक्षा का आधार है।
उन्होंने कहा कि गीता का संदेश मन को शांत, विचारों को सकारात्मक और जीवन को अनुशासित बनाता है। यदि हम सभी सत्य, साहस, कर्तव्य और सदाचार को जीवन में अपनाएँ, तो हमारा विद्यालय निरंतर प्रगति के मार्ग पर चलता रहेगा।
अंत में उन्होंने सभी को गीता जयंती की हार्दिक शुभकामनाएँ देते हुए कहा कि जिसके जीवन में गीता का प्रकाश है, उसके भीतर भय और भ्रम नहीं रहता।
कार्यक्रम में समस्त विद्यालय परिवार की गरिमामयी उपस्थिति रही।

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