- राष्ट्रीय गीत केवल गीत नहीं, भारत की आत्मा की आवाज : सहजानंद राय
गोरखपुर। राष्ट्रीय गीत ‘वंदे मातरम’ के 150 वर्ष पूरे होने के अवसर पर आज सर्किट हाउस, गोरखपुर में क्षेत्रीय अध्यक्ष सहजानंद राय ने पत्रकारों से मुखातिब होकर कहा कि यह गीत केवल मातृभूमि की स्तुति नहीं बल्कि देशभक्ति, त्याग और समर्पण की भावना का प्रतीक है।
सहजानंद राय ने बताया कि स्वतंत्रता संग्राम के दौरान यह गीत हर आंदोलन, सत्याग्रह और बलिदान का प्रेरणा स्रोत रहा। “जब-जब देश संकट में पड़ा, ‘वंदे मातरम’ हर भारतीय के हृदय में साहस और एकता का संचार करता रहा,” उन्होंने कहा।
उन्होंने कहा कि यह गीत वर्ष 1875 में श्री वकीम चंद्र चट्टोपाध्याय द्वारा रचा गया और 1896 में रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा इसका प्रसिद्ध वाचन किया गया। वर्ष 1950 में भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने इसे राष्ट्रगीत का दर्जा दिया।
सहजानंद राय ने यह भी बताया कि विभाजन विरोधी आंदोलनों और स्वतंत्रता संग्राम के दौरान यह गीत राष्ट्रवाद और ब्रिटिश शासन के खिलाफ प्रतिरोध का सशक्त प्रतीक बन गया।
150 वर्ष पूरे होने पर होने वाले कार्यक्रम :
- 7 नवंबर : प्रदेश के 18 स्थानों पर 150 कार्यकर्ताओं द्वारा सामूहिक वंदे मातरम गायन एवं सभा।
- 8 से 15 नवंबर : सभी जिला मुख्यालयों में सामूहिक गायन एवं सभा।
- विधानसभा एवं मंडल स्तर पर विशेष कार्यक्रम, तिरंगा यात्राएं, प्रभात फेरियां और बाइक रैलियां।
- विद्यालय और महाविद्यालय में निबंध, कविता व चित्रकला प्रतियोगिताएं।
- प्रदर्शनी और साहित्यिक गतिविधियाँ।
इस अवसर पर क्षेत्रीय उपाध्यक्ष डॉ. सत्येन्द्र सिन्हा, महानगर संयोजक राजेश गुप्ता, बृजेश मणि मिश्रा, अच्युतानंद शाही और शशिकांत सिंह भी उपस्थित रहे।

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