नई दिल्ली। राज्यसभा में राजनीतिक दलों के नेताओं ने कहा कि सभापति सी.पी. राधाकृष्णन के साथ बैठक बहुत ही उपयोगी और फलदायी रही। उन्होंने आश्वासन दिया कि वे सभी सुझावों पर गंभीरता से विचार करेंगे और सदन की कार्यवाही सुचारू रूप से चले, यह सुनिश्चित करने के लिए हर संभव प्रयास करेंगे। उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति सीपी राधाकृष्णन ने मंगलवार को राज्यसभा के सभी राजनीतिक दलों के सदन नेताओं के साथ अपनी पहली बैठक की अध्यक्षता की।
अपने उद्घाटन भाषण में, सभापति ने यह सुनिश्चित करने के महत्व पर ज़ोर दिया कि राज्यसभा उस गरिमा, अनुशासन और शिष्टाचार के साथ कार्य करे जिसकी वह हकदार है। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि संवाद, विचार-विमर्श, बहस और चर्चा सदन के बुनियादी ढाँचे हैं। सदस्यों को जनहित के मुद्दे उठाने के लिए उपलब्ध अवसरों पर प्रकाश डालते हुए, सभापति ने शून्यकाल, विशेष उल्लेख और प्रश्नकाल को महत्वपूर्ण साधन बताया, जो सदस्यों को अत्यावश्यक सार्वजनिक महत्व के मामलों को उठाने का अवसर प्रदान करते हैं।
उन्होंने सदस्यों को याद दिलाया कि भारत का संविधान और राज्य सभा की नियम पुस्तिका संसदीय संवाद के लिए मार्गदर्शक ढाँचे लक्ष्मण रेखा का काम करती है। सभापति ने इस ढाँचे के भीतर सभी सदस्यों के अधिकारों की रक्षा करने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई, साथ ही सदन की पवित्रता बनाए रखने की सभी की साझा ज़िम्मेदारी पर ज़ोर दिया। उन्होंने सभी सदस्यों से सदन के प्रत्येक दिन, प्रत्येक घंटे, प्रत्येक मिनट और प्रत्येक सेकंड का उपयोग लोकतांत्रिक प्रक्रिया को मजबूत करने के लिए करने का आग्रह किया।
मंत्रियों सहित सदन के सभी 29 नेताओं का स्वागत करते हुए, सभापति ने पदभार ग्रहण करने पर उनके उत्साहजनक समर्थन और उनके शुभकामना संदेशों के लिए उनका धन्यवाद किया। उन्होंने कहा कि अल्प सूचना पर सभी राजनीतिक दलों के नेताओं को एक साथ एकत्रित होते देखना उत्साहजनक है।
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