गोरखपुर। सरस्वती शिशु मंदिर (10+2), पक्कीबाग में विद्या भारती गोरक्ष प्रांत द्वारा आयोजित ‘कुटुंब प्रबोधन योजना’ की बैठक में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ गोरक्ष प्रांत के प्रांत प्रचारक आदरणीय रमेश जी ने कहा कि “कुटुंब प्रबोधन से ही राष्ट्र प्रबोधन का मार्ग प्रशस्त होता है।”
उन्होंने कहा कि परिवार समाज और राष्ट्र की मूल इकाई है, जहाँ से संस्कारों की नींव रखी जाती है। भारतीय संस्कृति और परंपराओं के पुनः प्रतिष्ठापन हेतु परिवार को शिक्षा और संस्कारों का केंद्र बनाना आवश्यक है। यही कुटुंब प्रबोधन योजना का उद्देश्य है।
मुख्य वक्ता ने स्वामी विवेकानंद और डॉक्टर हेडगेवार के विचारों को स्मरण करते हुए कहा कि दोनों महापुरुषों का लक्ष्य भारतीयता के संगठन में निहित था। संघ समाज में अनुशासन, संस्कार और विचार का संचार करता है। उन्होंने कहा कि हमें “समरसता युक्त संस्कारवान परिवार” के निर्माण का संकल्प लेना होगा — सहभोज से सहज भोज, अपने से अपनों तक, नर से नारायण तक की भावना के साथ।
पर्यावरण के संदर्भ में उन्होंने पेड़, पानी और पॉलिथीन के संतुलित उपयोग की बात कही तथा “भाषा, भूसा, भजन, भोजन और भ्रमण” को भारतीय जीवन के मूल तत्व बताया। उन्होंने पाँच प्रमुख परिवर्तनों — सामाजिक समरसता, पर्यावरण संरक्षण, कुटुंब प्रबोधन, स्व-आधारित जीवन और नागरिक कर्तव्य बोध — को समाज निर्माण का आधार बताया।
बैठक में गोरक्ष प्रांत के विभिन्न जिलों से आए कार्यकर्ताओं ने योजना के प्रभावी क्रियान्वयन पर विचार-विमर्श किया तथा इसे जन-जन तक पहुँचाने का संकल्प लिया।
इस अवसर पर सह प्रांत प्रचारक सुरजीत, विभाग प्रचारक अजय नारायण, सह विभाग संघचालक आत्मा सिंह, प्रांतीय मंत्री विद्या भारती डॉ. शैलेश सिंह, सह क्षेत्रीय मंत्री डॉ. रामनाथ गुप्ता, जन शिक्षा समिति मंत्री डॉ. दुर्गा प्रसाद अस्थान, प्रदेश निरीक्षक शिशु शिक्षा समिति राम सिंह, जन शिक्षा समिति के प्रदेश निरीक्षक जियालाल, प्रधानाचार्य डॉ. राजेश सिंह सहित गोरक्ष प्रांत के सभी शिशु मंदिरों के प्रधानाचार्य, प्रबंध समिति सदस्य एवं सैकड़ों कार्यकर्ता उपस्थित रहे।

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