गोरखपुर। जिले में यातायात व्यवस्था पूरी तरह से चरमराई हुई है। तेज रफ्तार, ट्रैफिक लोड और नियमों की अनदेखी ने सड़कों को खून से लाल कर दिया है। आठ महीने के अंदर जिले में 805 सड़क हादसों में 299 लोगों की जान जा चुकी है।
खासकर गीडा थाना क्षेत्र हादसों का हब बन गया है, जहां हर दिन सड़क पर निकलना जोखिम से कम नहीं। पुलिस विभाग द्वारा सड़क सुरक्षा को लेकर समय-समय पर बैठकों और योजनाओं का दावा तो किया जाता है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है।
सड़क सुरक्षा सप्ताह, हेलमेट जागरूकता अभियान, ओवरलोडिंग पर रोक, ब्लैक स्पाट चिन्हांकन जैसी योजनाएं कागजों तक ही सीमित नजर आ रही हैं। जनवरी से अगस्त 2025 तक के आंकड़े इस विफलता की पुष्टि करते हैं।
गीडा थाना क्षेत्र में 76 सड़क हादसे हुए, जिनमें 30 लोगों की मौत और 33 लोग गंभीर रूप से घायल हुए। हादसों के लिहाज से यह थाना क्षेत्र जिले में पहले स्थान पर है। वहीं झंगहा थाना क्षेत्र में 31 हादसों में 22 की मौत, तथा छह घायल, और सहजनवां थाना क्षेत्र में 47 हादसों में 20 मौतें और 15 लोग गंभीर रूप से घायल हुए।
इन आंकड़ों से साफ है कि सड़क सुरक्षा को लेकर पुलिस-प्रशासन की कार्यशैली सवालों के घेरे में है। गीडा जैसे औद्योगिक क्षेत्र में वाहनों की बढ़ती संख्या के साथ ही ट्रैफिक कंट्रोल व्यवस्था मजबूत न होना दुर्घटनाओं की सबसे बड़ी वजह बन रही है।
- वर्ष 2024 में 930 सड़क हादसे में 313 की गई थी जान
जिले में सड़क हादसों का ग्राफ लगातार बढ़ता जा रहा है। वर्ष 2024 में जिले के 28 थानों में कुल 930 सड़क हादसे हुए, जिनमें 313 लोगों की मौत और 375 लोग गंभीर रूप से घायल हुए। इसके बावजूद लोगों की लापरवाही कम नहीं हो रही। वर्ष 2025 के जनवरी से अगस्त तक में ही 805 सड़क हादसे हो चुके हैं, जिनमें 299 की जान जा चुकी है और 289 लोग गंभीर रूप से घायल हैं। जबकि पुलिस, ट्रैफिक और आरटीओ विभाग द्वारा लगातार जागरूकता अभियान और सख्ती का दावा किया जा रहा है। इसके बाद भी हालात नहीं सुधर रहे।
- चिह्नित ब्लैक स्पाट पर सावधानी से चलें
वाहन चालक और राहगीर नौसड़, जंगल धूषण से पिपराइच, कालेसर, चौरी चौरा से भोपा बाजार, बोक्टा, दाना पानी सहजनवा, भीटी रावत, फारेस्ट चौमुखी, देवीपुर, मरचाहे कुटीर, रावतगंज, फुटहवा ईनार, निबिहवा ढाला और रामनगर कड़हजां से सतर्कता से गुजरें।

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