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Wednesday, July 2, 2025

भ्रष्टाचार की शिकायतों पर पर्दा डालने वाले अधिकारियों पर ही भष्ट्राचार कराने का आरोप - प्रधान संठगन

- CDO और DC मनरेगा की चुप्पी बना निष्पक्ष जांच सवालों के घेरे में 

बस्ती। मनरेगा योजना में भष्ट्राचार को लेकर प्रधान तो यूं ही बदनाम है हकीकत तो यह कि मनरेगा के रहनुमाओं द्वारा केवल वसूली करने तक ही अपनी जिम्मेदारियों को लेकर सीमित है मनरेगा योजना के अंतर्गत बस्ती जिले में भ्रष्टाचार का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा। अब यह घोटाला सिर्फ ग्राम प्रधानों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि खंड विकास अधिकारी ( बीडीओं) और जिला स्तरीय अधिकारियों की कार्यप्रणाली भी सवालों के घेरे में आ गई है। ताजा मामला ग्राम पंचायत पेड़ा का का है,जहाँ यह आरोप लगाया गया कि मजदूरों के नाम पर फर्जी अटेंडेंस लगाकर मनरेगा के तहत भुगतान किया गया, जबकि मौके पर एक भी मजदूर कार्य करता नहीं पाया गया। जब इसकी जानकारी ग्रामीणों और पत्रकारों द्वारा खंड विकास अधिकारी को दी गई, तब बीडीओं साहब ने मौके पर कार्रवाई करने की बजाय सुविधा शुल्क के अभाव में मामले को टालमटोल कर फर्जी भुगतान करवा दिया। अब हालात ऐसे हैं कि खुद प्रधानों द्वारा यह सार्वजनिक रूप से कहा जा रहा है कि यदि कोई भी कार्य स्वीकृत कराना हो, तो पहले कमीशन देना होगा। तभी काम की स्वीकृति दी जाती है। सवाल यह है कि जब भ्रष्टाचार के आरोप लगाने वाले और झेलने वाले दोनों ही पक्ष एक-दूसरे पर उंगलियाँ उठा रहे हों, तो सच्चाई की जांच कौन करेगा? प्रशासन मौन, कार्रवाई ठप जिले में मनरेगा घोटाले से संबंधित खबरें रोजाना अखबारों और मीडिया में प्रकाशित हो रही हैं, परंतु खंड विकास अधिकारी और जिला मनरेगा सेल (DC मनरेगा) की ओर से अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। न तो भ्रष्ट ग्राम प्रधानों के खिलाफ कार्रवाई हो रही है और न ही भ्रष्टाचार के आरोप झेल रहे अधिकारियों पर कोई जांच बैठाई गई है। जनपद के सीडीओ साहब, जिनका आगमन बड़े जोश और संकल्प के साथ हुआ था, अब उनके रुतबे और सख्ती का असर जिले से गायब होता नजर आ रहा है। खंड विकास अधिकारियों और प्रधानों में न कोई डर है और न ही किसी जवाबदेही की भावना। डीसी मनरेगा पर भी सवाल उठते हैं कि वे क्यों फोन नहीं उठाते, क्यों शिकायतों पर कोई संज्ञान नहीं लिया जाता, और क्यों भ्रष्टाचार के मामलों में जांच को टालते हैं। जिले की जनता पूछ रही है कि क्या अब सरकारी योजनाओं का मतलब है—"पैसा दो, तभी काम होगा"? स्थिति यह बन चुकी है कि मनरेगा जैसी महत्त्वाकांक्षी योजना में बस्ती जिले में व्यापक स्तर पर भ्रष्टाचार हो रहा है। ऐसे में आवश्यक है कि भाजपा सरकार उच्च स्तरीय जांच समिति गठित कर पूरे मामले की निष्पक्ष और पारदर्शी जांच कराए। क्योंकि सवाल अब यह नहीं है कि "भ्रष्टाचार हो रहा है या नहीं", बल्कि सवाल यह है कि भ्रष्ट कौन है — प्रधान या बीडीओं साहब?

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