- स्कूल में पढ़ाई कम, वसूली ज्यादा बस्ती के अवैध शिक्षण संस्थानों का काला सच
बस्ती। जिले में शिक्षा व्यवस्था के नाम पर लूटपाट का खुला खेल चल रहा है। बिना मान्यता प्राप्त विद्यालय न सिर्फ धड़ल्ले से संचालित हो रहे हैं, बल्कि गरीब-अभिभावकों से जबरन मोटी रकम वसूली जा रही है। बच्चों को न सिर्फ घटिया क्वालिटी की किताबें और जूते-मोजे खरीदने पर मजबूर किया जा रहा है, बल्कि यह सामग्री भी स्कूल संचालकों के चहेते दुकानों से खरीदने का दबाव डाला जाता है।
बिना मान्यता के स्कूल, फिर भी मनमानी फीस शिक्षा विभाग की आंखों के नीचे जिले में ऐसे दर्जनों विद्यालय चल रहे हैं, जिनके पास न तो सरकारी मान्यता है, न ही आधारभूत संसाधन। इसके बावजूद ये स्कूल धड़ल्ले से एडमिशन ले रहे हैं और मनमानी फीस वसूल रहे हैं किताब-कॉपी, यूनिफॉर्म और जूता मोजा से ‘कमाई का खेल’ छात्रों को बाजार से किताबें खरीदने की अनुमति नहीं दी जाती। स्कूल प्रबंधन खुद ही निजी पब्लिशरों की किताबें थोपता है जिनकी कीमतें बाजार से कई गुना ज्यादा होती हैं। यही नहीं, यूनिफॉर्म, जूते-मोजे भी एक तय दुकानदार से खरीदने का दबाव डाला जाता है। अभिभावक मजबूर हैं क्योंकि बच्चों के भविष्य का सवाल होता है। शिकायतों के बावजूद नहीं होती कार्रवाई स्थानीय नागरिकों और अभिभावकों की कई शिकायतों के बावजूद शिक्षा विभाग ने अब तक कोई सख्त कदम नहीं उठाया है। ऐसा प्रतीत होता है कि विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत से यह कारोबार फल-फूल रहा है। कई स्कूलों पर पहले भी हो चुका है विवाद बस्ती नगर, रूधौली, सल्टौआ, गौर, हर्रैया आदि क्षेत्रों में कई ऐसे स्कूल हैं, जो न केवल अवैध रूप से चल रहे हैं, बल्कि बच्चों की शिक्षा के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। कई बार प्रशासन ने इन पर दिखावटी छापेमारी की, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो सकी।
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