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Thursday, June 19, 2025

मानव जीवन में सेवा ही परमो धर्मा है - देवेंद्रपति त्रिपाठी


अयोध्या। सेवा ही परमोधर्मा, सेवा ही परम धर्म है। इससे बढ़कर और कोई दूसरा धर्म नही है, जिसका जीता जागता उदाहरण गुरुवार के दिन देखने को मिला। जब सेवा धर्म को अंगीकार करते वशिष्ठ भवन अयोध्याधाम पीठाधिपति एवं राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित पूर्व शिक्षक आचार्य डॉ. देवेंद्रपति त्रिपाठी ने अपना 50वां वैवाहिक वर्षगांठ महोत्सव धूमधाम संग मनाया। जिसे सेवा दिवस का नाम दिया गया।
इस अवसर पर उन्होंने तमाम सेवा के कार्य किए। उनके मार्गदर्शन में सेवा प्रकल्प के कई काम संचालित भी हुए। इसके अलावा श्री त्रिपाठी दंपत्ति ने हवन-पूजन कर विश्व शांति और राष्ट्र के कल्याण की कामना किया। अंत में सभी को श्री सत्यनारायण भगवान के कथा का प्रसाद भी वितरित किया गया। राम नगरी में उपस्थित जनों ने त्रिपाठी दंपति के दीर्घायु-शतायु एवं स्वस्थ जीवन की कामना किया।
आचार्य डॉ. देवेंद्रपति त्रिपाठी ने कहा कि आज हमने अपनी धर्मपत्नी संग अपना 50वां वैवाहिक वर्षगांठ महोत्सव मनाया। इस मौके पर हवन-पूजन, यज्ञ, भंडारा समेत अन्य कार्यक्रम हुए। जिसे सेवा दिवस का नाम दिया गया। कई सेवा प्रकल्प के कार्य संचालित हुए। सेवा ही परमो धर्म एक ऐसा विचार है। जो हमें समाज के प्रति जिम्मेदार बनाता है। यह विचार हमें सिखाता है कि हमें दूसरों की मदद करनी एवं उनकी जरूरतों को पूरा करने का प्रयास करना चाहिए। सेवा करना ही हमारा सबसे बड़ा धर्म है। सेवा ही परमो धर्म के विचार को अपनाकर हम समाज में सकारात्मक परिवर्तन ला सकते हैं। जब हम दूसरों की मदद करते हैं, तो हम न केवल उनकी जिंदगी में सुधार लाते हैं, बल्कि हम अपने समाज को भी बेहतर बनाते हैं। हमें अपने समाज के प्रति जिम्मेदार बनना व दूसरों की मदद करने के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए। हम अपने आसपास के लोगों की मदद कर सकते हैं। जैसे कि बुजुर्गों की मदद करना, गरीबों को भोजन और कपड़े देना। हम अपने समाज में विभिन्न संगठनों और संस्थाओं के साथ जुड़कर भी सेवा कर सकते हैं। सेवा का विचार हमें न केवल दूसरों की मदद करने के लिए प्रेरित करता है, बल्कि यह हमें अपने जीवन को भी अर्थपूर्ण बनाता है। जब हम दूसरों की मदद करते हैं, तो हमें एक संतुष्टि और खुशी की भावना मिलती है जो हमारे जीवन को समृद्ध बनाती है। इसलिए, हमें सेवा ही परमो धर्म के विचार को अपनाना चाहिए और अपने समाज के प्रति जिम्मेदार बनना चाहिए। हमें दूसरों की मदद करने के लिए हमेशा तैयार रहना और अपने समाज को बेहतर बनाने के लिए काम करना चाहिए। इस अवसर पर महापौर महंत गिरीशपति त्रिपाठी, अंशुमान पति त्रिपाठी, डॉ. विनोद मिश्रा, निरंकार पाठक आदि समेत सैंकड़ो लोग मौजूद रहे।

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