बस्ती। जिले के वाल्टरगंज थाना क्षेत्र अंतर्गत ग्राम पंचायत बहेरिया में बिजली विभाग की लापरवाही एक बार फिर जानलेवा साबित हुई है। रामनयन चौधरी नामक किसान की दो भैंसें करंट की चपेट में आकर मौके पर ही दम तोड़ बैठीं। यह भैंसें उनके परिवार की आजीविका का मुख्य साधन थीं, और इस घटना से उनका पूरा परिवार सदमे में है। स्थानीय लोगों के अनुसार, गांव में कई वर्षों से जर्जर बिजली के तार लटकते हुए जानलेवा खतरा बने हुए हैं। ग्रामीणों ने कई बार विभागीय अधिकारियों को इसकी सूचना दी, परन्तु न कोई निरीक्षण हुआ, न ही तार बदले गए। आखिरकार विभाग की यह अनदेखी अब एक गरीब परिवार पर भारी पड़ गई। घटना के बाद ग्रामीणों में जबरदस्त आक्रोश है। लोगों ने बिजली विभाग के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। साथ ही पीड़ित किसान को आर्थिक मुआवजा देने की भी मांग की जा रही है।विपक्षी दलों ने इस मुद्दे को सरकार की संवेदनहीनता बताते हुए बिजली विभाग की कार्यशैली पर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि ग्रामीण क्षेत्रों में बुनियादी सुविधाओं को लेकर सरकार और प्रशासन की गंभीरता केवल कागजों तक सीमित रह गई है।ग्रामीणों का कहना है कि अगर समय रहते तारों की मरम्मत की गई होती तो यह घटना रोकी जा सकती थी। उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि शीघ्र कार्रवाई नहीं हुई तो वे आंदोलन करने को बाध्य होंगे।
बस्ती। जिले के वाल्टरगंज थाना क्षेत्र अंतर्गत ग्राम पंचायत बहेरिया में बिजली विभाग की लापरवाही एक बार फिर जानलेवा साबित हुई है। रामनयन चौधरी नामक किसान की दो भैंसें करंट की चपेट में आकर मौके पर ही दम तोड़ बैठीं। यह भैंसें उनके परिवार की आजीविका का मुख्य साधन थीं, और इस घटना से उनका पूरा परिवार सदमे में है। स्थानीय लोगों के अनुसार, गांव में कई वर्षों से जर्जर बिजली के तार लटकते हुए जानलेवा खतरा बने हुए हैं। ग्रामीणों ने कई बार विभागीय अधिकारियों को इसकी सूचना दी, परन्तु न कोई निरीक्षण हुआ, न ही तार बदले गए। आखिरकार विभाग की यह अनदेखी अब एक गरीब परिवार पर भारी पड़ गई। घटना के बाद ग्रामीणों में जबरदस्त आक्रोश है। लोगों ने बिजली विभाग के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। साथ ही पीड़ित किसान को आर्थिक मुआवजा देने की भी मांग की जा रही है।विपक्षी दलों ने इस मुद्दे को सरकार की संवेदनहीनता बताते हुए बिजली विभाग की कार्यशैली पर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि ग्रामीण क्षेत्रों में बुनियादी सुविधाओं को लेकर सरकार और प्रशासन की गंभीरता केवल कागजों तक सीमित रह गई है।ग्रामीणों का कहना है कि अगर समय रहते तारों की मरम्मत की गई होती तो यह घटना रोकी जा सकती थी। उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि शीघ्र कार्रवाई नहीं हुई तो वे आंदोलन करने को बाध्य होंगे।
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