नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आने वाली 13 और 14 जुलाई को फ्रांस की दो दिवसीय यात्रा पर रहने वाले हैं। यहां पर वे बैस्टिल डे परेड (14 जुलाई) में सम्मानित अतिथि होने वाले हैं। इस दौरे को काफी अहम माना जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा आईएनएस विक्रांत विमान वाहक के लिए 26 राफेल-समुद्री लड़ाकू विमानों के अधिग्रहण के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर करने की उम्मीद है। इसके लिए अंतिम निर्णय अगले हफ्ते पीएम नरेंद्र मोदी के फ्रांस रवाना होने से पहले रक्षा अधिग्रहण परिषद (DAC) की बैठक हो सकता है।
अमेरिका के विमान पर राफेल को तवज्जो
ऐसा कहा जा रहा है कि भारतीय नौसेना ने अमेरिका एफ-18 सुपर हॉर्नेट के मुकाबले फ्रांसीसी राफेल मरीन को ज्यादा अहमियत दी है। इसकी कीमतों का अभी खुलासा नहीं हुआ है। ऐसी उम्मीद लगाई जा रही है कि ये भारतीय वायुसेना के पहले खरीदे गए वैरिएंट से सस्ते होने वाले हैं। सरकार सीधे सौदा करने के मूड में हैं। इससे समय की बचत के साथ अधिग्रहण में आसानी होगी।
दोनों सरकारों के बीच सौदा
मोदी सरकार फ्रांस से राफेल लड़ाकू विमानों के नौसैनिक संस्करण की खरीद को लेकर समझौते पर हस्ताक्षर करने वाली है। सरकार सौदे के जरिए इसे खरीद सकती है। भारतीय नौसेना विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत पर तैनात को लेकर उपयुक्त लड़ाकू विमान की खोज हो रही है। इस मामले में नौसेना ने दसॉल्ट के राफेल मरीन पर समझौता किया है।
क्या है राफेल नेवल की खासियत
बीते वर्ष फ्रांस के राफेल लड़ाकू विमानों के साथ अमेरिकी एफ/ए-18 सुपर हॉर्नेट ने अपनी क्षमताओं का प्रदर्शन किया था। भारतीय नौसेना ने इस दौरान कई विकल्प प्रस्तुत किए थे. राफेल-एम आईएनएस विक्रांत पर डेक तैनाती के लिए आवश्यक शॉर्ट टेक-ऑफ और अरेस्टेड रिकवरी तकनीक को लेकर अनुकूल माना गया है। विमानवाहक पोत पर तैनात वर्तमान मिग-29K के मुकाबले राफेल-एम एक बेहतर विकल्प माना गया है।
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