नई दिल्ली। वर्ल्ड डेवलपमेंट रिपोर्ट (WDR) ने घरेलू स्तर पर 40 प्रतिशत वृद्धि की तुलना में विदेशों में रोजगार करने के लिए जाने वाले भारतीयों ( Indians ) के लिए 120 फीसद आय लाभ का अनुमान लगाया है। रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि अमेरिका (America) जाने वाले कम कुशल भारतीयों को सबसे अधिक लाभ होगा, क्योंकि उनकी आय में लगभग 500 फीसद की वृद्धि होगी। इसके बाद संयुक्त अरब अमीरात (UAE) जाने वाले भारतीयों की आय में लगभग 300 प्रतिशत की वृद्धि होगी। खाड़ी सहयोग परिषद (GCC) देशों क्रमशः सऊदी अरब, बहरीन, ओमान, कतर, कुवैत और संयुक्त अरब अमीरात जाने वाले भारतीयों को कम लाभ होगा। अत्यधिक कुशल श्रमिकों मसलन टेक्नोलॉजी प्रोफेशनल्स और डॉक्टरों के लिए लाभ बहुत अधिक है। यहां तक कि कम कुशल श्रमिकों की भी कई गुना आय बढ़ेगी। हालांकि आय में वृद्धि कौशल के अलावा उम्र, जाने वाले देश और भाषा की क्षमता पर भी निर्भर करती है।
- कौशल और जरूरतों का मेल देता है आय में भारी वृद्धि
वर्ल्ड डेवलपमेंट रिपोर्ट में कहा गया है कि काम के सिलसिले में विदेश जाने वाले ऐसे लोगों के वेतन में भारी वृद्धि होती है, जिनका कौशल और विशेषताएं संबंधित देश की जरूरतों को पूरा करती हैं। ये लाभ अक्सर मूल देश में हासिल किए जा सकने वाले लाभ से अधिक होते हैं। यहां तक कि घरेलू स्तर पर अपने शहर को छोड़कर किसी दूसरे प्रदेश के शहर जाने वालों की तुलना में भी यह अंतर बड़ा होता है। आय में वृद्धि का अंतर इतना बड़ा है कि आर्थिक विकास की वर्तमान दरों पर मूल देशों में काम करने वाले औसत कम-कुशल व्यक्तियों को उच्च आय वाले देश जाकर काम कर हासिल होने वाली आय पाने में दशकों लग जाएंगे। इसके अलावा आय में इस वृद्धि को मूल देशों में परिवारों और समुदायों के साथ साझा किया जाता है, जिसका असर अर्थव्यवस्था पर भी पड़ता है।
- वैश्विक स्तर पर प्रवासियों की संख्या 184 मिलियन
यह भी सही है कि देश छोड़कर विदेश जाकर रोजी-रोटी कमाने की कीमत भी चुकानी पड़ती है। उदाहरण के लिए कतर जाने वाला एक भारतीय प्रवासन लागत को पूरा करने के लिए दो महीने की कमाई खर्च करता है। कुवैत जाने वालों के लिए यह लागत थोड़ी अधिक है। नौ महीने की आय के लिहाज से कुवैत में प्रवास करने वाले एक बांग्लादेशी के लिए यह बहुत अधिक है। रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि वैश्विक स्तर पर प्रवासियों की संख्या 184 मिलियन है, जो जनसंख्या का 2.3 फीसद है। इसमें 37 मिलियन शरणार्थी भी शामिल हैं. रिपोर्ट के मुताबिक प्रवासियों की चार प्रकार श्रेणियां होती है। बेहतरीन कौशल वाले आर्थिक प्रवासी, जो अमेरिका में भारतीय आईटी पेशेवर या जीसीसी देशों में कंस्ट्रक्शन से जुड़े मजदूर हैं। संबंधित देश में कौशल की मांग वाले शरणार्थी, जो तुर्किये में सीरियाई उद्यमी शरणार्थी हैं। इसके अलावा संकटग्रस्त प्रवासी, जो अमेरिकी की दक्षिणी सीमा पर हैं. आखिरी श्रेणी है शरणार्थियों की, जैसे बांग्लादेश में रोहिंग्या।
- आय का 70 फीसद तक भेजा जाता है परिवार को
भारत-अमेरिका, भारत-जीसीसी और बांग्लादेश- भारत की पहचान विश्व स्तर पर शीर्ष प्रवास गलियारों में की गई है. इसके अलावा मैक्सिको-अमेरिका, चीन-अमेरिका, फिलीपींस-अमेरिका और कजाकिस्तान-रूस भी काम के सिलसिले में सबसे ज्यादा प्रवास दर देखी गई है। वर्ल्ड डेवलपमेंट रिपोर्ट के मुताबिक भारत, मैक्सिको, चीन और फिलीपींस सहित बड़ी प्रवासी आबादी वाले कुछ देशों में काम करने वाले आय का बड़ा हिस्सा अपने मूल देश में रह रहे परिवारों को भेजते हैं। एक अनुमान के मुताबिक संयुक्त अरब अमीरात में एक भारतीय कर्मचारी अपनी आय का लगभग 70 फीसदी हिस्सा परिवार को भेजता है। हालांकि महिला प्रवासी कर्मी पुरुषों की तलना में अधिक राशि भेजती हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय कामगारों का घरेलू स्तर पर दूसरे शहरों में जाकर काम करने की दर में तेजी आई है। मसलन केरल से विदेश जाने वालों की दर अधिक होने से कोलकाता के श्रमिकों के लिए वहां जाकर काम करने के अवसर पैदा हुए हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि देशों में उम्र बढ़ने और कम प्रजनन दर के परिणामस्वरूप प्रवासन हो रहा है, जिसका अगर ठीक से प्रबंधन किया जाए तो मूल देशों समेत आने वाले लोगों के समाजों को भी अच्छा फायदा होगा।
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