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Monday, November 21, 2022

पंच दिवसीय श्रीहरिकथामृत का हुआ आरम्भ

बस्ती। शिव उपासना को अत्यन्त सरल माना गया है। अन्य देवताओं की भांति भगवान शिव को सुगंधित पुष्पमालाओं और मीठे पकवानों की आवश्यकता नहीं पड़ती। शिव तो स्वच्छ जल, बिल्व पत्र, कंटीले और न खाए जाने वाले पौधों के फल धूतरा आदि से ही प्रसन्न हो जाते हैं। शिव को मनोरम वेशभूषा और अलंकारों की आवश्यकता भी नहीं है। वे तो औघड़ बाबा हैं। यह सद्विचार दिव्य ज्योति जागृति संस्थान द्वारा आयोजित श्रीहरिकथामृत का श्री गणेश करते हुये साध्वी करूणा भारती ने व्यास पीठ से व्यक्त किया।

                                                          श्रीहरिकथामृत का हुआ आरम्भ
                                                                

गंगा प्रसाद लघु माध्यमिक विद्यालय बैरिहवा के परिसर में दिन में 1 बजे से 4 बजे तक आयोजित श्रीहरिकथामृत में भगवान शिव, माता पार्वती संदेश, श्री गणेश की उत्पत्ति के प्रसंगों का विस्तार से वर्णन करते हुये साध्वी करूणा भारती ने कहा कि सत्संग, भजन, कीर्तन, कथा, शिव महापुराण, प्रवचन ही वैकुंठ का स्वरूप है। हम जब प्रवचन, ध्यान और जप-तप में रहते हैं, वही हमारा सबसे अच्छा क्षण रहता है। कथा वैकुंठ पहुंचाने का सबसे बड़ा माध्यम है। किसी ने भी वैकुंठ नहीं देखा है। हर मनुष्य को चाहिए कि वह संसार की चाहना नहीं रखे। उस परम के प्रति प्रेम और चाहत रखे। जो ऐसा करता है उसे संसार के पीछे भागना नहीं पड़ता है बल्कि संसार उसके पीछे-पीछे चला आता है। ऐसा व्यक्ति परम धाम की यात्रा आसानी से पूरी कर लेता है।

श्रीहरिकथामृत कथा के आरम्भ में सदर विधायक महेन्द्रनाथ यादव के प्रतिनिधि शैलेन्द्र दूबे, भाजपा नेता पवन कसौधन, चित्रांश क्लब संस्थापक राजेश चित्रगुप्त, दिनेश श्रीवास्तव, पंकज त्रिपाठी आदि ने स्वामी विष्णु प्रकाशनन्द के साथ दीप प्रज्जवलित किया। प्रथम दिन का. के.के. श्रीवास्तव, प्रीती श्रीवास्तव, रामकृष्ण पाठक, मनीष पाण्डेय, अजय कुमार श्रीवास्तव, गिरीश्वर उपाध्याय, कुलदीप श्रीवास्तव, स्वप्न खरे, बालजी श्रीवास्तव, रतन बाला श्रीवास्तव, प्रियंका सिंह, सरिता शुक्ल, प्रतिभा, अरूणिमा खरे, स्वामी अर्जुनानन्द, गिरीश्वर उपाध्याय, रीतेश श्रीवास्तव के साथ ही अनेक श्रद्धालु उपस्थित रहे। 


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