करूं क्या जतन यह चुनावी घड़ी है।
सभी लोग अपने समस्या बड़ी है ।।
कोई नौकरी कोई धन्धा किया है।
कमी किन्तु धन की सभी को पड़ी है।।
प्रधानी जिसे भी अभी तक मिली है।
सभी ने किया खूब ही गड़बड़ी है ।।
मिले एक मौका तो मैं भी कमा लूं ।
यही लालसा हर किसी में भरी है।।
खड़े एक ही गांव में जब कई जन।
विजयश्री न उस गांव को तब मिली है।।
समझ सोचकर एक को ही लड़ाओ।
सुनिश्चित विजय द्वार पर ही खड़ी है।।
भला गांव का जिससे देखो "अयोध्या"।
उसी को चुनो सबसे विनती यही है ।।
डॉ0 अयोध्या प्रसाद पाण्डेय
बस्ती

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