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Friday, March 5, 2021

सही दिशा मिले तो शिक्षक चमत्कार कर सकते हैं: मुख्यमंत्री

 ‘21वीं सदी में शिक्षक शिक्षा का कायाकल्प राष्ट्रीय संगोष्ठी’ में मुख्यमंत्री


भोपाल मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि शिक्षकों को यदि सही दिशा मिले तो वे शिक्षा व्यवस्था में चमत्कार कर सकते हैं। शिक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने हेतु मध्यप्रदेश सरकार ने गंभीर प्रयास प्रारंभ किये हैं। इस वर्ष हम कुल बजट का 9 प्रतिशत शिक्षा पर खर्च कर रहे हैं। शिक्षा देना अकेले सरकार का काम नहीं है। यह समाज के सहयोग से संचालित व्यवस्था है। विद्या भारती उच्च शिक्षा संस्थान जैसे संस्थानजो शिक्षण की दिशा में बेहतर कार्य कर रहे हैं उन्हें सरकार पूरी मदद करेगी और राष्ट्रीय शिक्षा नीति को जमीनी स्तर पर क्रियान्वित करने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेगी। कार्यक्रम में मंच पर स्कूल शिक्षा राज्य मंत्री श्री इंदर सिंह परमारविद्या भारती उच्च शिक्षा संस्थान के अखिल भारतीय अध्यक्ष श्री कैलाशचंद्र शर्माप्रवेश एवं शुल्क विनियामक समिति के अध्यक्ष रविंद्र कान्हरेआयोजन समिति के संयोजक डॉ शशि रंजन अकेला उपस्थित थे।

मुख्यमंत्री श्री चौहान आज यहां आर.सी.पी.व्ही.नरोन्हा प्रशासन एवं प्रबंधन अकादमीभोपाल में ‘21वीं सदी में शिक्षक शिक्षा का कायाकल्प’ विषय पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र को सम्बोधित कर रहे थे। इस संगोष्ठी का आयोजन स्कूल शिक्षा विभागराष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषदनई दिल्ली एवं विद्या भारती उच्च शिक्षा संस्थान द्वारा किया गया है।

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति को शिक्षा के क्षेत्र मंे आमूल-चूल परिवर्तन लाने की दिशा में बेहतर प्रयास बताते हुए कहा कि शिक्षा के तीन उद्देश्य हैं- ज्ञान देनाकौशल विकास करना तथा अच्छी नागरिकता के संस्कार देना। शिक्षक शिक्षा का अर्थ होता है ज्ञान को अगली पीढ़ी को देना। विद्यार्थी के पढ़ने के तरीके को विकसित करनाउसमें जिज्ञासा पैदा करना और जिज्ञासाओं का समाधान करना भी शिक्षा का एक उद्देश्य है। विद्यार्थी का स्वाभाविक विकास कैसे होइसकी चिंता शिक्षक को करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि हमारी शिक्षा व्यवस्था उद्देश्यपूर्णसंस्कारयुक्त और स्वावलंबी होना चाहिए। राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 में श्रेष्ठ मानव का निर्माण करने हेतु गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने की व्यवस्था की गई है। मध्यप्रदेश में राष्ट्रीय शिक्षा नीति को पूरी तरह लागू करने की प्रतिबद्धता ज्ञापित करते हुए मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि 15 से 20 किलोमीटर के दायरे में सीएम राइज स्कूल खोलने की महती योजना बनाई है। इन स्कूलों में आधुनिक भवन के साथ प्रयोगशालालायब्रेरीखेल के मैदान आदि सभी उत्कृष्ट सुविधायें उपलब्ध रहेंगी। जहाँ विद्यार्थी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त कर सकेंगे। इन कार्याें में शिक्षकों की भूमिका बड़ी महत्वपूर्ण है। शिक्षकों को शिक्षित करना बहुत आवश्यक है। उन्होंने कहा कि यद्यपि शिक्षा देना सरकार का ही काम नहीं हैयह समाज आधारित व्यवस्था है। वर्तमान राष्ट्रीय शिक्षा नीति के परिप्रेक्ष्य में शिक्षा व्यवस्था मंे आमूल-चूल परिवर्तन करने के लिए मध्यप्रदेश सरकार विद्या भारती जैसे संस्थान के साथ मिलकर बेहतर कार्य करेगी।

मुख्यमंत्री ने मध्यप्रदेश में पिछले दिनों शिक्षकों के पदनाम बदलकर गुरुजीशिक्षाकर्मी करने पर गहरी वेदना व्यक्त करते हुए कहा कि हम शिक्षकों का सम्मान और गौरव लौटाने हेतु निरन्तर प्रयत्नशील हैं।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति एक व्यापक विजन डॉक्यूमेंट: प्रो. जगदीश कुमार

शुभारंभ समारोह में ऑनलाइन जुड़े जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एम. जगदीश कुमार ने बीज वक्तव्य देते हुए कहा कि शिक्षा विद्यार्थी केंद्रित होना चाहिए। राष्ट्रीय शिक्षा नीति एक व्यापक विजन डॉक्यूमेंट है जो भारत को ज्ञान युक्त समाजआत्मनिर्भर और विश्व गुरु बनाने के उद्देश्य से तैयार की गई है।

इसमें शिक्षा में होने वाले सुधारों पर व्यापक विचार विमर्श हुआ है और शिक्षक शिक्षा इसका एक महत्वपूर्ण भाग है। उन्होंने कहा कि हमारे देश में शिक्षा समवर्ती सूची में है और केंद्र सरकार और राज्य दोनों पर इसकी जिम्मेदारी है। उन्होंने आधुनिक विज्ञान के उदाहरणों को स्पष्ट करते हुए कहा कि लर्निंग बाय डूइंग’ सीखने का एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया हैलेकिन आज हमारी शिक्षा सिर्फ लेक्चर सुनने पर केंद्रित है। आदि गुरु शंकराचार्य ने सीखने की चार स्थितियां बताई हैं- पठनमननचिंतन और संकेतन। आज आधुनिक विज्ञान इसी प्रक्रिया में सीखने को सबसे अधिक प्रभावी मानता है।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति में विद्यार्थियों को उद्यमी बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण प्रावधान किए गए हैं। इसके अलावा शिक्षक शिक्षा को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए कई तरीके के प्रयोग शामिल किए गए हैं। उन्होंने कहा कि शिक्षक नवाचारों और सृजनात्मक तरीके से कार्य करें तो वह विद्यार्थियों का सर्वांगीण विकास कर सकते हैं। उन्होंने आह्वान किया कि शिक्षकों को विभिन्न संकायों के बारे में जानना चाहिए और उनको आपस में जोड़कर अध्यापन करना चाहिए।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए विद्या भारती उच्च शिक्षा संस्थान के अध्यक्ष एवं कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. कैलाश चंद्र शर्मा ने कहा कि आजादी के बाद भारत की शिक्षा व्यवस्था को लेकर कई कमीशन बनेनीतियां बनीपरन्तु उनका क्रियान्वयन ठीक से नहीं हो पाया। इस शिक्षा व्यवस्था को बदलने हेतु देश भर के शिक्षाविदों ने गंभीर चिंतन किया और राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 लागू की गई। इस शिक्षा नीति में शिक्षा की संरचनापाठ्यक्रमशिक्षक और शिक्षा प्रणाली के साथ-साथ शिक्षक शिक्षा पर विशेष जोर दिया गया है। उन्होंने कहा कि शिक्षक बाय चांस नहींबाय च्वाइस’ बनना चाहिए। ऐसा होने पर वे मन से पढ़ायेंगे और आदर्श विद्यार्थियों का निर्माण करेंगे। उन्होंने कहा कि इस राष्ट्रीय संगोष्ठी के दौरान विचार-विमर्श में जो तथ्य निकलकर आयेंगे उन्हें अमल में लाया जाएगा।

आयोजन समिति के अध्यक्ष और स्कूल शिक्षा मंत्री श्री इंदर सिंह परमार ने स्वागत भाषण देते हुए कहा कि आजादी के बाद शिक्षा व्यवस्था के सुधार के लिए जो काम होना चाहिए थेवे नहीं हो पाए। शिक्षा व्यवस्था में आमूलचूल परिवर्तन के उद्देश्य से राष्ट्रीय शिक्षा नीति लाई गई हैजिसमें शिक्षक शिक्षा एक महत्वपूर्ण आयाम है। इतिहास में जितने भी सफल व्यक्ति हुए हैंउनके पीछे हमेशा गुरुशिक्षक रहा है। इस देश में नालंदा और तक्षशिला जैसे सर्वोच्च विश्वविद्यालय रहे हैं। उन्होंने कहा कि आज आवश्यकता इस बात की हम विद्यार्थियों को भारत केंद्रितगुणवत्तापूर्णज्ञान आधारित शिक्षा प्रदान करें। भारत का ज्ञान अनंत है।

उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश में हम सर्वसुविधा युक्त स्कूल बनाने के लिए प्रयासरत हैं। इस राष्ट्रीय संगोष्ठी से निकलने वाली सिफारिशों को भी हम यहां लागू करेंगे।

इससे पूर्व प्रवेश एवं शुल्क विनियामक समिति के अध्यक्ष प्रो. रवीन्द्र कान्हारे ने अतिथियों का परिचय दिया। सुश्री खुशबू पाण्डेय ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत की। कार्यक्रम का संचालन मंजूश्री देशपांडे ने किया। आभार प्रदर्शन आयोजन समिति के संयोजक डॉ. शशि रंजन अकेला ने किया। समारोह में देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपतिस्कूल शिक्षा विभाग एवं राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद के अधिकारी तथा विद्या भारती के पदाधिकारी उपस्थित थे। दो दिन तक चलने वाली इस राष्ट्रीय संगोष्ठी में 250 से अधिक शिक्षाविद सहभागिता कर रहे हैं। संगोष्ठी का समापन 6 मार्च को होगा।

इस अवसर पर विद्या भारती उच्च शिक्षा संस्थान द्वारा प्रकाशित 'शिक्षा पथ प्रदीपिकापुस्तक का विमोचन भी किया गया। संगोष्ठी स्थल पर शिक्षा में कार्यरत संगठनों ने उनकी बेस्ट प्रैक्टिसेज को लेकर प्रदर्शनी भी लगाई।सुबह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह श्री दत्तात्रेय होसबले, विद्या भारती के अखिल भारतीय अध्यक्ष डी रामकृष्णा राव और संगठन मंत्री जे एम काशीपति ने ‘भारत केंद्रित शिक्षा’ पर प्रदर्शनी का उद्घाटन किया।

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