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Monday, September 23, 2019

कालजयी होती हैं इतिहास की काव्यमय प्रस्तुतियां

डॉ. राम मूति कृत ' प्राचीन भारतीय इतिहास' पर विमर्श, ' गीत गौरव' का लोकार्पण


बस्ती । इतिहास के विविध प्रसंगों को कविता में सहेजना कठिन कार्य है। कविता जन मानस में स्थायी रूप से  विद्यमान रहती है। आज भी आल्हा ऊदल के प्रसंग हमारी चेतना का हिस्सा है। यह विचार डा. सुशील कुमार शुक्ल ने रविवार को प्रेस क्लब में व्यक्त किया। वे प्रेमचन्द साहित्य एवं जन कल्याण संस्थान द्वारा डॉ. राममूर्ति चौधरी के काव्य संग्रह ' प्राचीन भारतीय इतिहास' पर केन्द्रित परिचर्चा को मुख्य अतिथि के रूप में सम्बोधित कर रहे थे। इसी क्रम में डॉ. राम मूर्ति चौधरी के काव्य संग्रह ' गीत गौरव' का लोकार्पण साहित्य मर्मज्ञों ने किया।
डॉ. रघुवंश मणि त्रिपाठी ने काव्य संग्रह ' प्राचीन भारतीय इतिहास'  की विषद विवेचना करते हुये कहा कि इतिहास की काव्यमय प्रस्तुतियां कालजयी होती है। इस पुस्तक से नई पीढी अपने भूले-विसरे इतिहास के तथ्यों को जान सकेगी। डा. एस.पी. सिंह ने कहा कि इतिहास में हमारी जड़ों की मूल चेतना छिपी हुई है, उस पर विमर्श का क्रम जारी रहना चाहिये।
संयोजक वरिष्ठ कवि सत्येन्द्रनाथ मतवाला ने कहा कि साहित्यकार, कवि अपना सर्वस्व समाज को समर्पित करते हैं। समाज का इतना तो अपरिहार्य दायित्व है कि पुस्तकों के महत्व को समझें। अध्यक्षता करते हुये डा. आर.एस. त्रिपाठी ने कहा कि इतिहास में ही भविष्य का बीज छिपा होता है। रचनाकार डॉ. राममूर्ति   चौधरी ने अपने लेखकीय अनुभवों को साझा करते हुये कहा कि इसका वास्तविक मूल्यांकन तो पाठक ही करेंगे।
कार्यक्रम के दूसरे चरण में डा. रामकृष्ण लाल जगमग के संचालन में डा. सत्यव्रत त्रिपाठी, त्रिभुवन प्रसाद मिश्र, आतिश सुल्तानपुरी, कमलापति पाण्डेय, डा. अफजल हुसेन अफजल, रहमान अली रहमान, दीपक प्रेमी, शाद अहमद शाद, रामचन्द्र राजा, परमात्मा प्रसाद निर्दोष, हरीश दरवेश, अजीत श्रीवास्तव 'राज' जगदम्बा प्रसाद भावुक,  पंकज सोनी, अनवर पारसा, भद्रसेन सिंह बंधु, राजेन्द्र सिंह आदि ने कविताओं के माध्यम से वातावरण को सरस बना दिया। बटुकनाथ शुक्ल, श्याम प्रकाश शर्मा, मो. वसीम अंसारी, विनय कुमार श्रीवास्तव, रामदत्त जोशी, जय प्रकाश स्वतंत्र, बी.पी. शर्मा, दयाराम वर्मा, भैयालाल गुप्ता, ओम प्रकाश नाथ मिश्र, कृष्णचन्द्र पाण्डेय, सन्त कुमार चौधरी, राजेन्द्र शुक्ल, सन्धिला चौधरी, आर.पी चौधरी, ओम प्रकाश धर द्विवेदी, जगदीश प्रसाद पाण्डेय के साथ ही अनेक साहित्यकार, कवि उपस्थित रहे।


 

 

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