देहरादून। पद्मश्री से सम्मानित वरिष्ठ ऑर्थोपीडिक एवं स्पाइन सर्जन तथा एम्स गुवाहाटी के अध्यक्ष प्रो. डॉ. बी. के. एस. संजय ने कहा कि ऑर्थोपीडिक सर्जनों की भूमिका केवल ऑपरेशन थिएटर तक सीमित नहीं रहनी चाहिए, बल्कि उन्हें सार्वजनिक स्वास्थ्य, रोगों की रोकथाम और सामुदायिक जागरूकता में भी सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए। गुवाहाटी में 19 दिसंबर को आयोजित IOACON 2025 के दौरान संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि सर्जन की जिम्मेदारी केवल फ्रैक्चर जोड़ने या जटिल सर्जरी करने तक ही सीमित नहीं होती।
डॉ. संजय ने टीमवर्क, नैतिक आचरण, प्रभावी संवाद और सहानुभूति के महत्व पर बल देते हुए कहा कि आधुनिक सर्जन को परामर्शदाता की भूमिका भी निभानी चाहिए—रोगियों की बात सुनना, उनके भय को समझना और परिवारों को करुणा के साथ मार्गदर्शन देना आवश्यक है। उन्होंने अपनी सफलता का सूत्र व्यवहार (Behaviour), ज्ञान (Knowledge) और कौशल (Skill)—BKS बताते हुए चिकित्सकों से अपने कार्यों का दस्तावेजीकरण, प्रदर्शन, प्रकाशन और प्रसार करने का आह्वान किया।
7D रणनीति—डॉक्यूमेंट, डिस्प्ले, डेमॉन्स्ट्रेट, डिसेमिनेट, डायलॉग, डिसीजन और डिलीवरी प्रस्तुत करते हुए डॉ. संजय ने कहा कि प्रभावी जनसेवा के लिए सभी पेशों में संरचित जनसंपर्क आवश्यक है। उन्होंने स्वास्थ्य पेशेवरों से विकसित भारत के ध्येय के अनुरूप कार्य करने का आग्रह करते हुए कहा कि राष्ट्र निर्माण नागरिकों, नीति-निर्माताओं और पेशेवरों की सामूहिक जिम्मेदारी है न कि व्यक्ति विशेष की।
ऑर्थोपीडिक एवं स्पाइन सर्जन डॉ. गौरव संजय ने फुट विकृतियों, घुटने के गठिया और हिप फ्रैक्चर से संबंधित अपने क्लिनिकल शोध और अनुभव भी प्रस्तुत किए। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि विकृतियों के मामलों में जितनी जल्दी सुधार किया जाए, परिणाम उतने ही बेहतर होते हैं।

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