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Tuesday, December 16, 2025

भारत के वस्त्र उद्योग की नई वैश्विक पहचान — गिरिराज सिंह, केंद्रीय वस्त्र मंत्री


भारत का वस्त्र क्षेत्र केवल उद्योग नहीं, बल्कि करोड़ों किसानों, बुनकरों, श्रमिकों और उद्यमियों की आजीविका का आधार है। पिछले 11 वर्षों में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में किए गए नीतिगत सुधारों ने इस क्षेत्र को नई दिशा और नया आत्मविश्वास दिया है। आज वस्त्र उद्योग बदलाव के उस दौर में है, जहाँ इसका लक्ष्य भारत को एक वैश्विक वस्त्र शक्ति बनाना है।

किसान इस क्षेत्र की रीढ़ हैं। वर्ष 2004 से 2014 के बीच जहाँ 173 लाख कपास गांठों की सरकारी खरीद हुई थी, वहीं 2014 से 2024 के बीच यह बढ़कर 473 लाख गांठों तक पहुँच गई। न्यूनतम समर्थन मूल्य भी 2013-14 के 3,700 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़कर 2025-26 में 7,710 रुपये प्रति क्विंटल हो गया है, जिससे किसानों की आय और सुरक्षा सुनिश्चित हुई है।

कपास की गुणवत्ता और उत्पादकता बढ़ाने के लिए 2,500 करोड़ रुपये का “कपास उत्पादकता मिशन” शुरू किया गया है। इसके साथ ही अलसी, रैमी, सिसल और मिल्कवीड जैसे नई पीढ़ी के रेशों को बढ़ावा दिया जा रहा है, जो किसानों के लिए कम लागत में अधिक आय का अवसर प्रदान करेंगे।

कपास पर आयात शुल्क में दी गई राहत से वस्त्र उद्योग को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धी कच्चा माल उपलब्ध हुआ है। इससे उत्पादन लागत घटी है और निर्यात को मजबूती मिली है, जिसका विशेष लाभ लघु एवं मध्यम उद्योगों को हुआ है।

उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजना ने वस्त्र क्षेत्र में निवेश और रोजगार को नई गति दी है। तकनीकी वस्त्रों में बढ़ते निवेश के कारण भारत अब इस उभरते क्षेत्र में वैश्विक पहचान बना रहा है। मानव निर्मित रेशों से जुड़े उद्योगों को भी हालिया निर्णयों से राहत मिली है, जिससे लाखों रोजगार सुरक्षित हुए हैं।

वस्तु एवं सेवा कर सुधारों के माध्यम से उल्टे कर ढांचे की समस्या दूर की गई है। साथ ही 2,500 रुपये तक के परिधानों पर कर की दर 5 प्रतिशत करने से मध्यम वर्ग और युवाओं को सीधा लाभ मिला है।

प्रधानमंत्री मित्रा वस्त्र उद्यान योजना के अंतर्गत सात राज्यों में विकसित हो रहे एकीकृत वस्त्र पार्कों से अब तक लगभग 33,000 करोड़ रुपये का निवेश आकर्षित हुआ है और लगभग 21 लाख रोजगार सृजित होने की संभावना है।

मुक्त व्यापार समझौतों के माध्यम से भारत ने नए वैश्विक बाज़ारों में प्रवेश किया है। हाल के वर्षों में 100 से अधिक देशों में भारतीय वस्त्रों के निर्यात में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है।

इन सभी प्रयासों से यह स्पष्ट है कि भारत का वस्त्र क्षेत्र अब नए विश्वास और नई क्षमता के साथ आगे बढ़ रहा है। हमारा लक्ष्य भारत को एक आधुनिक, भरोसेमंद और टिकाऊ वैश्विक वस्त्र केंद्र के रूप में स्थापित करना है।

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