बस्ती। भारत रत्न संविधान निर्माता बाबा साहब और महान संत गाडगे के परिनिर्वाण दिवस के उपलक्ष्य में रविवार को नगर पंचायत मुण्डेरवा के अम्बेडकर नगर बोदवल में संत रविदास सेवा समिति अध्यक्ष प्रदीप कुमार भारती, वेदमणि, अमर चन्द्र, अनिल कुमार, सूर्यलाल, माधव मुरारी, प्रवीन कुमार कन्नौजिया, नन्द किशोर नन्दू और अरविन्द के संयोजन में संगोष्ठी का आयोजन किया गया।कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डा. विनोद कुमार ने कहा कि बाबा साहब कानूनी विद्वान, राजनीतिज्ञ और समाज सुधारक थे। संत गाडगे और बाबा साहब का योगदान सदैव याद किया जायेगा।गोष्ठी को सम्बोधित करते हुये विशिष्ट अतिथि ओमबीर हास्पिटल की संचालिका डा. अर्चना चौधरी ने कहा कि डॉ. बी.आर. अम्बेडकर ने अपना पूरा जीवन मानवाधिकारों के लिए समर्पित कर दिया। उनकी मुख्य चिन्ता दलित समुदाय के लोगों की थी। समाज के दलित, वंचित वर्ग को उनका मौलिक अधिकार दिलाने के लिये बाबा साहब ने आखिरी सांस तक संघर्ष किया। कहा कि पुरूषों के साथ ही महिलाओं को विशेष रूप से आगे आकर महापुरूषों के जीवन संघर्ष, संदेशों से प्रेरणा लेकर आगे बढना होगा।चेयरमैन प्रतिनिधि मुण्डेरवा अजय सिंह ‘टिकू’ ने कहा कि बाबा साहब और समाज सुधारक संत गाडगे ने समाज के दबे कुचले, विपन्न समाज को ज्ञान से नयी रोशनी दिया। दोनों महापुरूषों ने संदेश दिया कि बच्चों को अनिवार्य रूप से शिक्षित करें। शिक्षा ही वह शक्ति है जिससे समाज की कुरीतियों का अंत संभव है। विशिष्ट अतिथि बुद्धि प्रकाश एडवोकेट, बी.आर. फाउन्डेशन चेयरमैन के.पी. राठौर ने कहा कि संत गाडगे बाबा और बाबासाहेब अंबेडकर दोनों का संदेश सामाजिक न्याय, शिक्षा और अंधविश्वास उन्मूलन पर केंद्रित था। गाडगे बाबा ने स्वच्छता, भाईचारे और शिक्षा पर जोर दिया, जबकि अंबेडकर ने ‘शिक्षित बनो, संगठित हो, आंदोलन करो’ का नारा दिया, दोनों ने जातिवाद और पाखंड का विरोध किया और दलितों के उत्थान के लिए काम किया, जहाँ गाडगे बाबा ने अंबेडकर के कार्यों को अपना ‘जीवित कार्य’ घोषित किया और उनके निधन से दुखी होकर अन्न-जल त्याग दिया था।अध्यक्षता करते हुये कृष्ण मुरारी लाल उर्फ पप्पू ने कहा कि संत गाडगे बाबा डा. अम्बेडकर के समकालीन थे तथा उनसे उम्र में पन्द्रह साल बड़े थे। वैसे तो गाडगे बाबा बहुत से राजनीतिज्ञों से मिलते-जुलते रहते थे। लेकिन वे डा. आंबेडकर के कार्यों से अत्यधिक प्रभावित थे। इसका कारण था जो समाज सुधार सम्बन्धी कार्य वे अपने कीर्तन के माध्यम से लोगों को उपदेश देकर कर रहे थे, वही कार्य डा0 आंबेडकर राजनीति के माध्यम से कर रहे थे। नयी पीढी को बाबा साहब के जीवन से प्रेरणा लेनी चाहिये। संचालन एडवोकेट अनूप ने किया। मिशन गायक गुलाम किब्रिया अन्सारी ने अपने गीतांें के माध्यम से बाबा साहब और संत गाडगे के संघर्षो को स्वर दिया।मुख्य रूप से राजेश सिंह ‘विज्ञान’, रामशंकर निराला, जुगुल किशोर चौधरी, रंजीत कुमार, रामशंकर आजाद, कैलाश चन्द्र शर्मा, सोहन कुमार, दीपक आर्य, बब्लू पाल,विशाल, उमाशंकर राव चन्द्रवंशी महेश गौड़, किसमत अली, हरिश्चन्द्र भारती, गुलाब चन्द कन्नौजिया, विशाल, ई. महेन्द्र कुमार, बलवन्त कुमार, पंकज, अखिलेश, गोलू बाबू,रामलला गौड़, सिद्धान्त, साजन बाबू, आदर्श, नितिन, अमन, विजय, गोविन्द कुमार के साथ ही बड़ी संख्या में लोग उपस्थित रहे।
Sunday, December 21, 2025
महापुरूषों के जीवन संघर्ष, संदेशों से प्रेरणा ले युवा पीढ़ी- डा. अर्चना
बस्ती। भारत रत्न संविधान निर्माता बाबा साहब और महान संत गाडगे के परिनिर्वाण दिवस के उपलक्ष्य में रविवार को नगर पंचायत मुण्डेरवा के अम्बेडकर नगर बोदवल में संत रविदास सेवा समिति अध्यक्ष प्रदीप कुमार भारती, वेदमणि, अमर चन्द्र, अनिल कुमार, सूर्यलाल, माधव मुरारी, प्रवीन कुमार कन्नौजिया, नन्द किशोर नन्दू और अरविन्द के संयोजन में संगोष्ठी का आयोजन किया गया।कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डा. विनोद कुमार ने कहा कि बाबा साहब कानूनी विद्वान, राजनीतिज्ञ और समाज सुधारक थे। संत गाडगे और बाबा साहब का योगदान सदैव याद किया जायेगा।गोष्ठी को सम्बोधित करते हुये विशिष्ट अतिथि ओमबीर हास्पिटल की संचालिका डा. अर्चना चौधरी ने कहा कि डॉ. बी.आर. अम्बेडकर ने अपना पूरा जीवन मानवाधिकारों के लिए समर्पित कर दिया। उनकी मुख्य चिन्ता दलित समुदाय के लोगों की थी। समाज के दलित, वंचित वर्ग को उनका मौलिक अधिकार दिलाने के लिये बाबा साहब ने आखिरी सांस तक संघर्ष किया। कहा कि पुरूषों के साथ ही महिलाओं को विशेष रूप से आगे आकर महापुरूषों के जीवन संघर्ष, संदेशों से प्रेरणा लेकर आगे बढना होगा।चेयरमैन प्रतिनिधि मुण्डेरवा अजय सिंह ‘टिकू’ ने कहा कि बाबा साहब और समाज सुधारक संत गाडगे ने समाज के दबे कुचले, विपन्न समाज को ज्ञान से नयी रोशनी दिया। दोनों महापुरूषों ने संदेश दिया कि बच्चों को अनिवार्य रूप से शिक्षित करें। शिक्षा ही वह शक्ति है जिससे समाज की कुरीतियों का अंत संभव है। विशिष्ट अतिथि बुद्धि प्रकाश एडवोकेट, बी.आर. फाउन्डेशन चेयरमैन के.पी. राठौर ने कहा कि संत गाडगे बाबा और बाबासाहेब अंबेडकर दोनों का संदेश सामाजिक न्याय, शिक्षा और अंधविश्वास उन्मूलन पर केंद्रित था। गाडगे बाबा ने स्वच्छता, भाईचारे और शिक्षा पर जोर दिया, जबकि अंबेडकर ने ‘शिक्षित बनो, संगठित हो, आंदोलन करो’ का नारा दिया, दोनों ने जातिवाद और पाखंड का विरोध किया और दलितों के उत्थान के लिए काम किया, जहाँ गाडगे बाबा ने अंबेडकर के कार्यों को अपना ‘जीवित कार्य’ घोषित किया और उनके निधन से दुखी होकर अन्न-जल त्याग दिया था।अध्यक्षता करते हुये कृष्ण मुरारी लाल उर्फ पप्पू ने कहा कि संत गाडगे बाबा डा. अम्बेडकर के समकालीन थे तथा उनसे उम्र में पन्द्रह साल बड़े थे। वैसे तो गाडगे बाबा बहुत से राजनीतिज्ञों से मिलते-जुलते रहते थे। लेकिन वे डा. आंबेडकर के कार्यों से अत्यधिक प्रभावित थे। इसका कारण था जो समाज सुधार सम्बन्धी कार्य वे अपने कीर्तन के माध्यम से लोगों को उपदेश देकर कर रहे थे, वही कार्य डा0 आंबेडकर राजनीति के माध्यम से कर रहे थे। नयी पीढी को बाबा साहब के जीवन से प्रेरणा लेनी चाहिये। संचालन एडवोकेट अनूप ने किया। मिशन गायक गुलाम किब्रिया अन्सारी ने अपने गीतांें के माध्यम से बाबा साहब और संत गाडगे के संघर्षो को स्वर दिया।मुख्य रूप से राजेश सिंह ‘विज्ञान’, रामशंकर निराला, जुगुल किशोर चौधरी, रंजीत कुमार, रामशंकर आजाद, कैलाश चन्द्र शर्मा, सोहन कुमार, दीपक आर्य, बब्लू पाल,विशाल, उमाशंकर राव चन्द्रवंशी महेश गौड़, किसमत अली, हरिश्चन्द्र भारती, गुलाब चन्द कन्नौजिया, विशाल, ई. महेन्द्र कुमार, बलवन्त कुमार, पंकज, अखिलेश, गोलू बाबू,रामलला गौड़, सिद्धान्त, साजन बाबू, आदर्श, नितिन, अमन, विजय, गोविन्द कुमार के साथ ही बड़ी संख्या में लोग उपस्थित रहे।
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