बस्ती। शुक्रवार को भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अपना सर्वस्व न्यौछावर करने वाले महान क्रांतिकारी अशफाक उल्ला खां को उनकी पुण्यतिथि पर भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की गई। कबीर साहित्य सेवा संस्थान के अध्यक्ष मो. सामईन फारूकी के तत्वावधान में प्रेस क्लब सभागार में आयोजित कार्यक्रम में वक्ताओं ने उनके बलिदान और देशभक्ति को याद किया।
मुख्य अतिथि वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम प्रकाश शर्मा ने कहा कि काकोरी कांड में राम प्रसाद बिस्मिल के साथ अशफाक उल्ला खां को भी फांसी की सजा दी गई थी। 19 दिसंबर 1927 को उन्हें फांसी दी गई। उन्होंने कहा कि अशफाक उल्ला खां भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख क्रांतिकारी थे और हिन्दू-मुस्लिम एकता के अनुपम उदाहरण के रूप में उनका नाम इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में अंकित है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए बी.एन. शुक्ल ने कहा कि 9 अगस्त 1925 को राम प्रसाद बिस्मिल के नेतृत्व में अशफाक उल्ला खां सहित अन्य क्रांतिकारियों ने सहारनपुर-लखनऊ 8 डाउन पैसेंजर ट्रेन को काकोरी में रोककर अंग्रेजी हुकूमत को कड़ा संदेश दिया था। इसी कारण उन्हें गिरफ्तार कर फांसी दी गई, लेकिन उनका बलिदान सदैव स्मरणीय रहेगा।
इस अवसर पर त्रिभुवन प्रसाद मिश्र, तौव्वाब अली, डा. वाहिद सिद्दीकी, अर्चना श्रीवास्तव सहित अन्य वक्ताओं ने कहा कि अशफाक उल्ला खां भारत माता के अमर सपूत हैं और नई पीढ़ी को उनसे प्रेरणा लेनी चाहिए।
कार्यक्रम में दीपक सिंह प्रेमी, अनुराग श्रीवास्तव, संजीव पाण्डेय, सागर गोरखपुरी, राजेन्द्र कुमार, प्रदीप श्रीवास्तव सहित अनेक लोग उपस्थित रहे। अंत में साहित्यकार कैप्टन एस.पी. सिंह के निधन पर दो मिनट का मौन रखकर श्रद्धांजलि अर्पित की गई।

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