गोरखपुर। शिशु शिक्षा समिति गोरक्ष प्रांत द्वारा आयोजित छह-दिवसीय प्रांतीय पंचपदी अधिगम पद्धति स्रोत व्यक्ति कार्यशाला का भव्य शुभारंभ शनिवार को सरस्वती शिशु मंदिर (10+2), पक्कीबाग, गोरखपुर में संपन्न हुआ। यह कार्यशाला 21 नवंबर से प्रारंभ होकर 26 नवंबर 2025 तक चलेगी। इसमें पंचपदी अधिगम पद्धति, शिक्षा के भारतीयकरण तथा राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP 2020) के प्रभावी क्रियान्वयन पर विस्तृत मंथन किया जाएगा।
उद्घाटन सत्र के मुख्य अतिथि विद्या भारती पूर्वी उत्तर प्रदेश क्षेत्र के क्षेत्रीय संगठन मंत्री आदरणीय हेमचंद्र जी रहे। उन्होंने अपने संबोधन में ‘भारत श्रेष्ठ’ निर्माण के संकल्प पर जोर देते हुए कहा कि भारतीय जीवन दर्शन में निहित प्रेम, सेवा और त्याग जैसे मूल्य ही राष्ट्र को विश्वगुरु बनाने की शक्ति रखते हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 प्राचीन भारतीय ज्ञान परंपरा और आधुनिक शिक्षा के बीच सेतु का कार्य करेगी।
हेमचंद्र जी ने बालकों के सर्वांगीण विकास पर केंद्रित पंचपदी अधिगम पद्धति को अत्यंत प्रभावी माध्यम बताते हुए कहा कि शिक्षा एवं संस्कार ही राष्ट्र को श्रेष्ठ बनाने की नींव हैं, और विद्या भारती इस दिशा में उत्कृष्ट कार्य कर रही है। साथ ही उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शताब्दी वर्ष का उल्लेख करते हुए ‘पंच परिवर्तन’ के लिए कार्य करने का आह्वान किया।
कार्यशाला का उद्देश्य गोरक्ष प्रांत के विद्यालयों में पंचपदी अधिगम पद्धति के प्रभावी क्रियान्वयन हेतु स्रोत व्यक्तियों (Resource Persons) को प्रशिक्षित करना है। प्रतिभागियों को भारतीय शिक्षा पद्धति के सैद्धांतिक आधार, उसके व्यावहारिक प्रयोग तथा आधुनिक शिक्षण तकनीकों के समन्वय का प्रशिक्षण दिया जाएगा।
कार्यक्रम का शुभारंभ अतिथियों द्वारा मां सरस्वती के चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलन एवं पुष्पार्चन के साथ हुआ। अतिथि परिचय प्रांत प्रशिक्षण प्रमुख गोविंद सिंह जी ने दिया।
इस अवसर पर शिशु शिक्षा समिति गोरक्ष प्रांत के मंत्री डॉ. शैलेश कुमार सिंह, प्रदेश निरीक्षक राम सिंह, क्षेत्रीय प्रशिक्षण प्रमुख दिनेश सिंह, संभाग निरीक्षक बलिया कन्हैया चौबे, प्रधानाचार्य डॉ. राजेश सिंह सहित विभिन्न जनपदों से आए प्रतिभागी उपस्थित रहे।

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