महादेवा (बस्ती)। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाने वाला देवउठनी या देवोत्थान एकादशी का पर्व इस वर्ष 1 नवंबर को मनाया जाएगा। इस दिन भगवान श्री विष्णु चार माह की योग निद्रा से जागते हैं। भगवान के जागरण के साथ ही चातुर्मास का समापन होता है और सभी प्रकार के मांगलिक कार्यों — विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन आदि — की पुनः शुरुआत होती है।
पंडित राकेश पांडेय ने बताया कि एकादशी तिथि 1 नवंबर को सुबह 9 बजकर 11 मिनट पर प्रारंभ होकर 2 नवंबर को शाम 7 बजकर 32 मिनट तक रहेगी। गृहस्थ लोग 1 नवंबर को देवउठनी एकादशी का व्रत रखेंगे।
उन्होंने बताया कि इस वर्ष देवोत्थान एकादशी के दिन रवि योग, ध्रुव योग और हंस महापुरुष राजयोग बन रहे हैं, जिससे इस दिन का धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व और भी बढ़ गया है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन व्रत रखने से न केवल पुण्य की प्राप्ति होती है, बल्कि मोक्ष का मार्ग भी प्रशस्त होता है। शास्त्रों में देवउठनी एकादशी पर तुलसी–शालिग्राम विवाह का विशेष महत्व बताया गया है। मान्यता है कि इस दिन तुलसी विवाह कराने वाले साधक को कन्यादान के समान फल प्राप्त होता है।

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