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Saturday, September 13, 2025

गीत


स्वप्न नैनों में जो पल रहे हैं।

करने दीदार हम कर रहे हैं।

जुड़ गए जब मेरी जिंदगी से ।

हमने कर ली मुहब्बत खुशी से ।।

देखने वाले क्यों जल रहे हैं 


चल बिखर के जुल्फे डगर में। 

छोरे। पागल हुए हैं नगर में ।।

जाने क्यों हाथ वो मल रहे हैं 

       

पास आ करके हंसना नहीं था ।

प्यार में उनके  फंसना नहीं था ।।

पाके तन्हा मुझे छल  रहे हैं 

करके  वादा  न आ सके जब ।

नीर  नयनों से गिरने लगे तब ।।

उनके बर्ताव अब खल रहे हैं  


जन कवि/ रिक्शा चालक 

रहमान अली ’ रहमान ’

 बस्ती  ( उत्तर प्रदेश )

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