ग्रेटर नोएडा। ग्रेटर नोएडा सूरजपुर स्थित जिला न्यायालय में शनिवार को आयोजित राष्ट्रीय लोक अदालत में 862695 वादों का निस्तारण किया गया। जिला न्यायालय के न्यायिक अधिकारियों ने 296011 वाद, प्री-लिटिगेशन स्तर पर राजस्व न्यायालय के 92297, बैंक के 329, एनपीसीएल के 106 मामलों का निपटारा किया गया। जिनकी समझौता धनराशि 850000 रही है।
यूपीपीसीएल के 3275, श्रम न्यायालय के 912 मामलों की समझौता धनराशि 185204979 प्राप्त हुई है. पुलिस विभाग द्वारा 28025 मामलों का निस्तारण किया गया। बीएसएनएल ने 183 और यातायात विभाग की तरफ से 401203 मामले का निस्तारण किया है। इस प्रकार प्री-लिटिगेशन के 566684 मामले निस्तारित हुए है।
- जिला जज के आठ वादों में समझौता
राष्ट्रीय लोक अदालत में जिला जज मलखान सिंह के जिला जज के आठ वादों में समझौता धनराशि 20000 है। रविन्द्र नाथ दुबे पीठासीन अधिकारी वाणिज्य न्यायालयकृ1 द्वारा 11 वाद का निपटारा की समझौता धनराशि 20811894 है। परिवार न्यायालय के 37 और वाणिज्य न्यायालय-2 के 16 वादों का निपटारा किया गया। जिनकी समझौता धनराशि 20492203 है।
- एमवी एक्ट में एक लाख से अधिक का निस्तारण
मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण द्वारा 45 वाद व समझौता धनराशि 40740000 है। संजीव कुमार त्रिपाठी मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की कोर्ट के 122436 वादों का निस्तारण किया गया। जिनकी जुर्माना धनराशि 18340400 हैं।
- पुलिस विभाग के 28 हजार से ज्यादा वाद निस्तारित
राष्ट्रीय लोक अदालत के तहत नोएडा प्राधिकरण के 3691, यमुना प्राधिकरण के 14 मामले एवं प्री-लिटीगेशन के 3705 मामले निस्तारित किए गए। पुलिस विभाग द्वारा 28025 मामलो का निस्तारण किया गया। चिकित्सा विभाग द्वारा 36649 मामलो का निस्तारण किया गया।
जिलाधिकारी, अपर जिलाधिकारी, उपजिलाधिकारी एवं तहसीलदार आदि के राजस्व से संबंधित 92297 वादों का निपटारा किया गया। राष्ट्रीय लोक अदालत में 862695 मामलों का निस्तारण करते हुए समझौता धनराशि 392942302 रही है।
- त्वरित और सुलभ न्याय का माध्यम
लोक अदालत देश में वैकल्पिक विवाद समाधान का एक प्रभावी तंत्र है, जिसका उद्देश्य मुकदमों को त्वरित, कम खर्चीला और सौहार्दपूर्ण तरीके से निपटाना है। यह राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण के तहत आयोजित की जाती है। लोक अदालत में सिविल, पारिवारिक, संपत्ति और छोटे आपराधिक मामले सुलझाए जाते हैं।
इसमें पक्षकार आपसी सहमति से समझौता करते हैं, और निर्णय अंतिम व बाध्यकारी होता है। यह प्रणाली न्यायिक बोझ को कम करती है और आम लोगों को सुलभ न्याय प्रदान करती है. लोक अदालत सामाजिक सौहार्द और शांति को बढ़ावा देती है।

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