लखनऊ। प्रदेश की अपर मुख्य सचिव (गन्ना विकास एवं चीनी उद्योग) वीना कुमारी ने गन्ना फसल में रोग और कीट प्रकोप की रोकथाम हेतु सभी परिक्षेत्रीय उप गन्ना आयुक्त, जिला गन्ना अधिकारियों व चीनी मिलों के प्रबंधकों को प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर नुकसान का आकलन करने और तत्काल रिपोर्ट मुख्यालय भेजने के निर्देश दिए हैं।
उन्होंने कहा कि अधिकारी स्थानीय सांसद, विधायक एवं जनप्रतिनिधियों से संवाद कर किसानों को विभाग की सलाह व किए गए कार्यों से अवगत कराएं। गन्ना समितियों के अध्यक्ष, डायरेक्टर, समिति सचिव और ज्येष्ठ गन्ना विकास निरीक्षक मौके पर किसानों से बातचीत कर कीट व रोग निवारण के लिए आवश्यक रसायन व उर्वरक उपलब्ध कराएं। गन्ना शोध केन्द्रों और कृषि विज्ञान केन्द्रों के वैज्ञानिक भी खेतों का दौरा कर किसानों को त्वरित बचाव उपाय बताएंगे। कीट और रोग नियंत्रण के लिए एडवाइजरी जारी
आयुक्त, गन्ना एवं चीनी, मिनिस्ती एस. ने बताया कि बाढ़ प्रभावित और पानी निकल चुके खेतों में जड़ विगलन रोग के लिए थायोफेनेट मिथाईल 70 WP या कार्बेन्डाजिम 50 WP का प्रयोग करें। फसल वृद्धि हेतु NPK 19:19:19 का पत्तियों पर छिड़काव लाभकारी है।
तराई व अधिक पानी वाले क्षेत्रों में सफेद मक्खी के नियंत्रण के लिए इमिडाक्लोप्रिड का छिड़काव करें। व्हाइट ग्रब के लिए बाइफेन्द्रिन या क्लोथियानिडीन का उपयोग, जबकि जैविक नियंत्रण हेतु बवेरिया बैसियाना को खाद में मिलाकर जड़ों के पास डालें। जड़ बेधक कीट के लिए क्लोरपायरीफास या इमिडाक्लोप्रिड का ट्रेंचिंग द्वारा प्रयोग करें।
अधिकारियों ने किसानों से अपील की कि जुलाई से सितम्बर तक के "ग्रांड ग्रोथ फेज" में फसल की साप्ताहिक निगरानी करें और किसी भी समस्या पर तत्काल निकटतम गन्ना समिति या टोल फ्री नंबर 1800-121-3203 पर सूचना दें।
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