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Thursday, August 21, 2025

स्वतंत्रता संग्राम सेनानी रामलखन त्रिपाठी ने चन्द्रशेखर आजाद के सानिध्य में लड़ी आजादी की लड़ाई

- नैनिताल के किच्छा में फार्म लेने के प्रस्ताव को ठुकराया कहा कि भारत मॉ की स्वतंत्रता के लिए लड़ी लड़ाई

बस्ती/सिद्धार्थनगर। भारत माता के वीर सपूत स्वतंत्रता सेनानी स्व0 रामलखन त्रिपाठी का जन्म सन 1906 ई0 में ग्राम जीवा तहसील बांसी, जनपद बांसी जो आज के समय में सिद्धार्थनगर से जाना जाता है के एक प्रतिष्ठित परिवार में हुआ था। श्री रामलखन को अंग्रेज पुलिस गॉंव पर रहने पर कुछ कुटिल आस-पास के ग्रामीणों की सूचना पर उनके घर पर छापा मारती थी, परन्तु उनकी पकड़ में स्व0 राम लखन त्रिपाठी कभी नहीं आये। श्री रामलखन तत्कालीक क्रांतकारियों के गढ़ शहर कानपुर चले गये, और वहॉ नौघड़ा में रहने लगे, इन्ही के साथ ग्राम बभनी अवस्थी तहसील बॉंसी के कालिका प्रसाद बाजपेयी भी कानपुर आये थे परन्तु श्री रामलखन कानपुर में अंग्रेजो के विरूद्ध कार्यक्रम में बढ़चढ़कर हिस्सा लेने लगे। परिणाम स्वरूप नौगढ़ा कुली बाजार बादशाही नाका कलक्टरगंज आदि में श्री रामलखन त्रिपाठी जी इतने लोकप्रिय हुए कि उनकी एक आवाज पर वहॉं हजारों आदमी इक्कठा हो जाया करते थे। अमर शहीद चन्द्रशेखर आजाद से इनके अच्छे सम्बंध थे। यही कारण था, कि श्री आजाद अपनी मृत्यु से लगभग एक वर्ष पूर्व गोरखपुर के तत्कालीन अत्याचारी अंग्रेज कमिश्नर को मारने के लिए गोरखपुर जा रहे थे तभी सी0आई0डी0 द्वारा भॉप लिए जाने का आभास होने पर खलीलाबाद से रास्ता बदलकर गॉव जीवा में 10-11 बजे रात में पहुॅचे और कुछ ही देर रूकने के बाद वहॉ से श्री आजाद प्रस्थान कर गये। इस प्रकार श्री रामलखन त्रिपाठी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी देश के ऐसे सपूतों में थे जिन्हे अमर शहीद श्री चन्द्रशेखर आजाद जैसे महान क्रांतिकारी देशभक्त का साथ मिला।
श्री रामलखन त्रिपाठी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी को वर्ष 1940 ई0 में धारा 58(2) डी०आई०आर० में गिरफ्तार कर जिला कारागार कानपुर में कारावासित कर दिया गया और कुछ दिनो के बाद अग्रेजी सरकार ने उन्हे कानपुर जेल से जिला कारागार गाजीपुर स्थानान्तिरित कर दिया गया इस प्रकार वर्ष 1940 ई0 से 1941 ई0 तक श्री रामलखन त्रिपाठी अंग्रेजों की जेल में रहे। जहां विभिन्न प्रकार से प्रताड़ित किया जाता
रहा। कानपुर सीटी बमकान्ड में भूमिगत हो गये, और अंग्रेज पुलिस इस वीर का्रंतिकारी को तब पकड़ नही पायी थी, जिसमें श्री कालिका प्रसाद वाजपेयी, मोहनलाल, दुर्गा प्रसाद, बैजनाथ, श्रीराम, भगवानदास वैश्य, अनन्त राम श्रीवास्तव, सीतला प्रसाद सोनार जिनके विरूद्ध पुलिस ने दफा 120(षडयंत्र) 436(आग लगाना) 3,4,5,6 विस्फोटक 34,35,38,39 भारत सुरक्षा कानून लगायी गयी थी। जिसमें गवाहो द्वारा गलत सिनाख्त की गयी।
श्री रामलखन त्रिपाठी के साथियों में स्व० उमाशंकर दीक्षित, भगवती प्रसाद सिंह विशारद , रामबालक यादव (सरोसी) उन्नाव, गोपीनाथ दीक्षित, श्री कालिका प्रसाद वाजपेयी, भगवान दास वैश्य, अन्नत राम श्रीवास्तव, मोहनलाल मिश्र, दुर्गा प्रसाद मिश्र, बैजनाथ मिश्र, श्रीराम मिश्र, सीतला प्रसाद मिश्र आदि थे।
देश स्वतंत्र होने के पश्चात तत्कालीन सरकार की ओर से कृषि फार्म आदि के लिए प्राविधान कर स्वतंत्रता संग्राम सेनानी को नैनिताल के किच्छा में फार्म आवंटित किये जा रहे थे, परन्तु श्रीरामलखन ने यह कहते हये अस्वीकार कर दिया था, कि हम फार्म के लिये नही भारत माता की स्वतंत्रता के लिये लड़े थे। वर्ष 1962 स्वतंत्रता संग्राम सेनानी श्री राममलखन त्रिपाठी जी का स्वर्गवास हो गया। क्षेत्रीय जनता की सुविधा हेतु स्व0 श्री रामलखन त्रिपाठी के नाम से बांसी से गोरखपुर जाने वाले राजकीय मार्ग के पांचवे किलोमीटर पर रामलखन बस स्टाप प्रदेश सरकार द्वारा घोषित है। जिससे क्षेत्रीय जनता को गोरखपुर की ओर जाने वाली बसों के ठहराव से यात्रा करने में सुगमता हो जाने से प्रसन्नता रहती है।

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