उत्तरकाशी। भारतीय सेना ने स्थानीय प्रशासन के साथ मिलकर लिमचीगड में बेली ब्रिज का निर्माण पूरा कर लिया। 5 अगस्त को उत्तरकाशी के धराली में बादल फटने से पुराना पुल बह गया था, जिसके बाद इस ब्रिज ने क्षेत्र की कनेक्टिविटी बहाल कर दी।
लिमचीगाड पुल के नष्ट हो जाने के बाद क्षेत्र में परिवहन ठप्प हो गया, जिसके चलते तत्काल मरम्मत कार्य शुरू करना पड़ा।
पुलिस, स्टेट डिजास्टर रिस्पांस फोर्स (एसडीआरएफ), इंजीनियरों और अन्य बचाव दलों की टीमें, साथ ही भारतीय सेना की बंगाल इंजीनियर्स ग्रुप (बीईजी) की इंजीनियरिंग इकाई ने भारी बारिश के बावजूद दिन-रात काम करके पुल के जरिए संपर्क बहाल किया।
खोज, मेडिकल और संचार दलों ने भी इस मिशन में हिस्सा लिया और रविवार शाम 5 बजे 90 फुट लंबा बेली ब्रिज पूरा किया गया।
सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) और सेना के इंजीनियरों ने मिलकर एक नया बेली ब्रिज बनाया है। यह ब्रिज गंगोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर लिम्चिगड के पास गंगनानी और धराली के बीच स्थित है। इस ब्रिज की क्षमता लगभग 50 टन है, जो हिमालय के कठिन क्षेत्र में राहत और बचाव कार्यों को बहुत आसान बनाएगा।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने एक्स पोस्ट पर लिखा, लिमचीगाड के बेली ब्रिज का निर्माण कार्य पूर्ण हो चुका है और पुल आवागमन के लिए खोल दिया गया है। अब इस पुल के माध्यम से न केवल राहत सामग्री और मशीनरी तेजी से आगे भेजी जा रही है, बल्कि स्थानीय लोगों की आवाजाही भी फिर से सुचारु हो गई है। आपदा के इस कठिन समय में हमारी सरकार जनजीवन को सामान्य बनाने के लिए पूरी तत्परता से कार्य कर रही है।
अधिकारी एक साथ सोंगड़, डबरानी, हर्षिल और धराली में राजमार्ग पर अवरोधों को हटाने के लिए तेजी से काम कर रहे हैं। लेकिन, भारी बारिश के कारण फंसे लोगों को हेलीकॉप्टर से निकालने में मुश्किल हो रही है।
रविवार शाम तक धराली और हर्षिल से 1,273 लोगों को हेलीकॉप्टर द्वारा सुरक्षित निकाला जा चुका है।
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