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Tuesday, August 5, 2025

सुप्रीम कोर्ट ने बांके बिहारी मंदिर प्रबंधन मामले में सुनवाई 8 अगस्त तक की स्थगित


नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बांके बिहारी मंदिर की प्रबंधन समिति की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई को शुक्रवार तक टाल दिया है। याचिकाकर्ताओं की ओर से वकील कपिल सिब्बल ने मंगलवार को सुझाव दिया कि मामले की सुनवाई टाल दी जाए, ताकि याचिकाकर्ता भी अपने सुझाव दे सकें। इसके बाद कोर्ट ने मामले में अगली सुनवाई की तारीख 8 अगस्त निर्धारित की।
उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) के. एम. नटराज ने कोर्ट में अध्यादेश का समर्थन करते हुए कहा कि सरकार का उद्देश्य धार्मिक गतिविधियों में हस्तक्षेप करना नहीं है, बल्कि मंदिर के बेहतर प्रशासन के लिए ही यह अध्यादेश लाया गया है। उन्होंने बताया कि बांके बिहारी मंदिर का एक ऐतिहासिक महत्व है और प्रतिदिन हजारों श्रद्धालु यहां दर्शन के लिए आते हैं। ऐसे में मंदिर कोष में संभावित कुप्रबंधन को रोकने की जरूरत है।
सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार के प्रस्ताव पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह प्रस्ताव मोटे तौर पर उसी दिशा में है, जैसा कि अदालत ने पूर्व में सुझाया था। कपिल सिब्बल ने याचिकाकर्ताओं की ओर से कहा कि उन्हें भी अपने पक्ष में कुछ सुझाव देने का अवसर दिया जाए, इसलिए सुनवाई को कुछ समय के लिए स्थगित किया जाए।
कोर्ट ने यह मांग स्वीकार करते हुए सुनवाई को शुक्रवार तक के लिए स्थगित कर दिया। इस मामले की सुनवाई जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की पीठ कर रही है।
इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने बांके बिहारी मंदिर मामले में एक कमेटी बनाने के संकेत दिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह मंदिर के प्रबंधन की निगरानी के लिए एक समिति के गठन पर विचार कर रहा है। कोर्ट ने कहा कि इस समिति की अध्यक्षता हाईकोर्ट के किसी रिटायर्ड जज या वरिष्ठ जिला न्यायाधीश को सौंपी जा सकती है, जो मंदिर के कोष और खर्चों की निगरानी करेंगे।
याचिकाकर्ताओं ने बांके बिहारी मंदिर के प्रबंधन को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार के 2025 के अध्यादेश को चुनौती दी है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के 15 मई के फैसले को भी वापस लेने की मांग की है, जिसमें सरकार को कॉरिडोर करने के लिए मंदिर के धन का उपयोग करने की अनुमति दी गई थी।

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