- 1990 से 2012 तक आरटीओ आफिस परिसर में बाबू करता था दलाली, बाद में फर्जी मार्कशीट के जरिए अपनाई नौकरी
- दस साल से मंडल के एआरटीओ दफ्तरों में जमा रखी है तैनाती
- सीएम व एंटी करप्शन से शिकायत के बाद खुला राज, आरटीओ प्रशासन फरीदुद्दीन ने सौंपी आरटीओ प्रवर्तन को जांच
बस्ती। आरटीओ आफिस में इन दिनों एक बाबू विवादों के घेरे में इतनी बुरी तरह से फंस चुका है कि मुख्यमंत्री और विजिलेंस से शिकायत के बाद आरटीओ प्रशासन फरीदुद्दीन को इसकी जांच के लिए आरटीओ प्रवर्तन को जिम्मेदारी सौपनी पड़ी है।
एक व्यक्ति ने मुख्यमंत्री, परिवहन आयुक्त, विजिलेंस व एंटी करप्शन विभाग को शिकायती पत्र देकर कैली स्थित आरटीओ आफिस में तैनात वरिष्ठ सहायक विनोद श्रीवास्तव पर आरोप लगाया है कि वह लंबे समय तक बस्ती आरटीओ आफिस में दलाली करते थे और किसी तरह जुगाड़ व कलाबाजी से वरिष्ठता सूची में नाम शामिल करवाकर बाबू की नौकरी हथिया लिया। वह संभाग के तीनों जिलों में लगभग 13 साल से बारी-बारी तैनाती ले चुका है। यही नहीं यह भी आरोप लगाया गया है कि वह 12 बजे के बाद आफिस पहुंचता है और उसने दुखरन नामक एक दबंग को अपने आफिस में लगा रखा है, जिसके जरिए ई-रिक्शा के पंजीयन के लिए 1850 व स्कूली वाहनों के पंजीयन के लिए 10 हजार रुपए की वसूली भी करता है। यह भी आरोप लगाया है कि वह अपनी विभागीय ऊंची पहुंच के दम पर नियमविरुद्ध तरीके से गृह जनपद में दोबारा तैनाती ले रखा है और दबंगई करके आवेदकों से बदसलूकी भी करता है। इस बारे में आरटीओ प्रशासन फरीदुद्दीन ने बताया कि वरिष्ठ सहायक विनोद श्रीवास्तव के खिलाफ शिकायत मिली है, जिसकी जांच के लिए आरटीओ प्रवर्तन सुरेश कुमार को जिम्मेदारी सौंपी गई है।
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