<!--Can't find substitution for tag [blog.voiceofbasti.page]--> - Voice of basti

Voice of basti

सच्ची और अच्छी खबरें

Breaking

वॉयस ऑफ बस्ती में आपका स्वागत है विज्ञापन देने के लिए सम्पर्क करें 9598462331

Thursday, July 31, 2025

जन मानस में रचा बसा है राम चरित मानस और मुंशी प्रेमचन्द का गोदान - डा. वी.के. वर्मा


बस्ती। गुरूवार को गोस्वामी तुलसीदास और उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचन्द को वरिष्ठ नागरिक कल्याण समिति और कबीर साहित्य सेवा संस्थान द्वारा कलेक्टेªट परिसर में याद किया गया। उनकी जयन्ती पर महासचिव डॉ. अजीत कुमार श्रीवास्तव के संयोजन में प्रेस क्लब सभागार में याद किया गया।

मुख्य अतिथि साहित्यकार और वरिष्ठ चिकित्सक डा. वी.के. वर्मा ने कहा कि गोस्वामी तुलसीदास कृत राम चरित मानस और मुंशी प्रेमचन्द का गोदान जन मानस में रचा बसा है। कहा कि प्रेमचंद की कहानियों के किरदार आम आदमी होते हैं। उनकी कहानियों में आम आदमी की समस्याओं और जीवन के उतार-चढ़ाव को दिखाया गया है जो आज भी दिल को छू जाती है।

वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम प्रकाश शर्मा ने कहा कि महान साहित्यकार, हिंदी लेखक और उर्दू उपन्यासकार मुंशी प्रेमचंद किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। मुंशी प्रेमचंद ने अपने जीवन काल में कई रचनाएं लिखी हैं। जिसमें गोदान, कफन, दो बैलों की कथा, पूस की रात, ईदगाह, ठाकुर का कुआं, बूढ़ी काकी, नमक का दरोगा, कर्मभूमि, गबन, मानसरोवर, और बड़े भाई साहब समेत कई रचनाएं शामिल हैं। उनका रचना संसार सदैव हमें मार्ग दर्शन देता रहेगा।

प्रेम चन्द की जयन्ती पर आयोजित कार्यक्रम में राम कृष्ण लाल ‘जगमग’ त्रिभुवन प्रसाद मिश्र, बी.के. मिश्र, पं. चन्द्रबली मिश्र, बी.एन. शुक्ला, दीपक सिह प्रेमी, डा. राजेन्द्र सिंह ‘राही’ तौव्वाब अली, अजमत अली सिद्दीकी, संजीव पाण्डेय, सामईन फारूकी आदि ने कहा कि गोस्वामी तुलसीदास और मुंशी प्रेमचंद युगों तक याद किये जायेंगे। कहा कि मुंशी प्रेमचंद की साहित्यकार, कहानीकार और उपन्यासकार रूप में चर्चा अक्सर होती है। पर उनके पत्रकारीय योगदान को लगभग भूला ही दिया जाता है। जंगे-आजादी के दौर में उनकी पत्रकारिता ब्रिटीश हुकूमत के विरुद्ध ललकार की पत्रकारिता थी। इसकी बानगी प्रेमचंद द्वारा संपादित काशी से निकलने वाले दो पत्रों ‘जागरण’ और ‘हंस’ की टिप्पणीयों-लेखों और संपादकीय में देखा जा सकता है।

कार्यक्रम में मुख्य रूप से प्रदीप कुमार श्रीवास्तव, गनेश, दीनानाथ यादव, कृष्णचन्द्र पाण्डेय, राजेन्द्र प्रसाद चौरसिया, विनोद कुमार भट्ट, लालजी पाण्डेय  के साथ ही अनेक साहित्यकार, पत्रकार उपस्थित रहे।


No comments:

Post a Comment

Post Bottom Ad

Responsive Ads Here

Pages