ठाणे। बकरीद के अवसर पर महाराष्ट्र के ठाणे जिले के नगर कल्याण स्थित दुर्गा माता मंदिर को अस्थायी रूप से बंद करने का प्रशासनिक निर्णय विवाद का कारण बन गया है। इस फैसले पर शिवसेना और शिवसेना यूबीटी ने तीव्र विरोध जताया है। मंदिर में भक्तों को घंटियां बजाने और दर्शन करने की अनुमति न दिए जाने से हिंदू समुदाय में भारी नाराजगी देखी जा रही है।
शनिवार को सैकड़ों शिवसैनिक दुर्गाडी किले (इसी किले में मंदिर स्थित है) के पास एकत्रित हुए और प्रशासन के इस फैसले का विरोध किया। शिवसेना नेताओं का कहना है कि यह मुद्दा 1984 से विवाद का कारण बना हुआ है। उनका आरोप है कि प्रशासन एक समुदाय की धार्मिक भावनाओं का ख्याल रखते हुए हिंदू समुदाय के अधिकारों का हनन कर रहा है।
शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के वरिष्ठ नेता बंद्या उर्फ विजय साल्वी ने इस मामले पर कड़ा रुख अपनाते हुए कहा, “जिस हिंदुत्व के मुद्दे पर एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री और पालकमंत्री बने, वह मुद्दा आज भी अधूरा है। लोगों ने वोट देकर उम्मीद जताई थी कि मंदिरों पर हो रहे अन्याय को रोका जाएगा, लेकिन स्थिति में कोई बदलाव नहीं आया।”
उन्होंने आगे कहा कि प्रशासन का यह रवैया भेदभावपूर्ण है और हिंदू समुदाय की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाता है। साल्वी ने मांग की कि मंदिर को तत्काल खोला जाए और भक्तों को दर्शन की अनुमति दी जाए।
वहीं शिवसेना के कार्यकर्ताओं ने भी इस मुद्दे पर समान विचार व्यक्त किए और प्रशासन से इस फैसले पर पुनर्विचार करने की मांग की।
दुर्गाडी किला, जो ऐतिहासिक और धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, लंबे समय से विवादों का केंद्र रहा है। यह मंदिर हिंदू समुदाय के लिए श्रद्धा का प्रमुख स्थल है और इसे बंद करने का निर्णय पहले भी तनाव का कारण बन चुका है।
शिवसैनिकों का कहना है कि इस तरह के फैसले सामाजिक सौहार्द को नुकसान पहुंचाते हैं और धार्मिक असमानता को बढ़ावा देते हैं।
दूसरी ओर, बकरीद के अवसर पर मुस्लिम समुदाय की नमाज को लेकर प्रशासन ने कड़े सुरक्षा इंतजाम किए हैं। कल्याण सहित कई इलाकों में नमाज के दौरान किसी भी तरह की बाधा से बचने के लिए विशेष बंदोबस्त किए गए हैं। प्रशासन ने कहा कि हर वर्ष की तरह इस बार भी नमाज शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हो, इसके लिए सभी जरूरी कदम उठाए गए हैं। हालांकि, शिवसेना का आरोप है कि एक समुदाय को विशेष सुरक्षा और सुविधाएं दी जा रही हैं, जबकि हिंदू धार्मिक स्थलों और त्योहारों पर प्रतिबंध लगाए जा रहे हैं, जो असंतुलन और भेदभाव को दर्शाता है।
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