अयोध्या। मनुस्मृति की वर्ण व्यवस्था के आधार पर आरक्षण नीति की पुनर्समीक्षा की मांग करते हुए अखिल भारतीय चाणक्य परिषद, उत्तर प्रदेश के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप राम त्रिपाठी ने आज एक बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि जो भी जातियां कथा वाचन और पूजा-पाठ जैसे कार्यों में संलग्न हैं। उन्हें ब्राह्मण माना जाए और उनका आरक्षण तत्काल समाप्त किया जाए।
श्री त्रिपाठी ने कहा कि मनुस्मृति में जाति का उल्लेख नहीं, बल्कि कार्य आधारित वर्ण व्यवस्था दी गई है। जो लोग पूजा-पाठ और कथा वाचन करते हैं, वे ब्राह्मण हैं। आज जब सभी जातियों के लोग यही कार्य कर रहे हैं, तो उन्हें भी ब्राह्मण माना जाना चाहिए। फिर आरक्षण की सुविधा क्यों? उन्होंने आगे कहा कि दलित और पिछड़ा वर्ग (OBC) से आने वाले कई लोग अब धार्मिक कर्मकांड और कथा वाचन जैसे कार्य कर रहे हैं। ऐसे में मनुस्मृति के अनुसार ये भी "ब्राह्मण कार्य" कर रहे हैं, फिर आरक्षण का लाभ उठाना अन्याय है।
श्री त्रिपाठी ने सरकार से मांग की है कि पूजा-पाठ और धार्मिक कार्यों में लगे सभी जातियों के लोगों का आरक्षण समाप्त किया जाए।
समान कार्य पर समान नीति लागू की जाए। उन्होंने कहा आज ब्राह्मण समाज के मात्र 2% लोग ही धार्मिक कार्यों में लगे हैं। जबकि 98% को इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। जब सभी समाज के लोग ब्राह्मणों के कार्य करने लगे हैं, तो उन्हें भी उसी श्रेणी में रखा जाना चाहिए। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने इस दिशा में शीघ्र कार्रवाई नहीं की, तो ब्राह्मण समाज बड़े आंदोलन की राह अपना एगा और सुप्रीम कोर्ट तक जाकर। उन्होंने इटावा कथा कांड पर आक्रोश प्रकट किया।
न्याय मांगेगा उपरोक्त मांग के समर्थन में बृजेश्वरी प्रसाद मिश्र, आचार्य वीरेंद्र कुमार द्विवेदी, वैदिक मिथिलेश कुमार द्विवेदी, गोविंद मिश्र, गौरव पांडेय, संजय पांडेय, हरि विलास तिवारी, रामजी पांडेय, सत्यम तिवारी, रितेश मिश्र, सौरभ मिश्र, शशि मिश्र, सरिता पांडेय, सरिता त्रिपाठी, शेषमणि दुबे, कृष्ण मणि दुबे अन्यान्य लोग मौजूद रहे।
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