बस्ती। जनपद के सीएमओ और महिला अस्पताल के सीएमएस से न्याय पीठ के अध्यक्ष प्रेरक मिश्रा ने चार विन्दुओं पर तीन दिवस के भीतर स्पष्टीकरण माँगा है।
बताते चले की न्याय पीठ बाल कल्याण समिति नाबालिग बच्चों के देख रेख संरक्षण का काम करती है,बालक और बालिकाओं से संबंधित प्रकरण आने पर न्याय पीठ के द्वारा मेडिकल परीक्षण का आदेश जिम्मेदारो को दिया जाता है, इधर कुछ दिनों से ज़ब पीड़ित बालिकाओं को लेकर महिला आरक्षी महिला अस्पताल जाँच कराने जा रही है तो महिला अस्पताल के सीएमएस और चिकित्सक द्वारा त्वरित गति से परीक्षण करने के बजाय उन्हें वापिस थाने के निकटतम सीएचसी पर यह कह कर भेज दिया जाता है की आपका मेडिकल वहा होगा, वहा जाने पर जिला मुख्यालय पर मेडिकल करवाने की बात कही जाती है। जिससे जहाँ बालिकाओं की सुरक्षा का खतरा रहता है वहीं मेडिकल जाँच मे अनावश्यक विलम्ब होने से साक्ष्य के मिटने का भी अंदेशा बढ़ जाता है। कुछ दिनों से इस प्रकार की शिकायत आने पर न्याय पीठ के अध्यक्ष प्रेरक मिश्रा, सदस्य अजय श्रीवास्तव, सदस्य डॉ संतोष श्रीवास्तव, मंजू त्रिपाठी ने बालिकाओं की सुरक्षा एवं सर्वोच्च हित को देखते हुए प्रकरण को स्वतः संज्ञान लेकर स्वास्थ्य विभाग के दोनों जिम्मेदार अधिकारियो को स्पष्टीकरण के लिए पत्र लिखा गया है। अध्यक्ष प्रेरक मिश्रा ने बताया की हर्ररया की एक बालिका को मुकामी पुलिस हर्ररया के नये बड़े अस्पताल ले गई तो दो घंटा बैठाने के बाद बस्ती भेज दिया गया, बालिका के बस्ती पहुंचने पर यहां की चिकित्सक ने पुनः हर्ररेया भेज दिया, हर्ररेया बड़े अस्पताल पुनः पहुंचने पर वहा के चिकित्सक ने सीएचसी भेज दिया सीएचसी पर भी बालिका का मेडिकल नही किया गया, रात्रि हो जाने के कारण दूसरे दिन बालिका का मेडिकल बस्ती महिला अस्पताल मे हो पाया। इसी प्रकार कलवारी की बालिका बस्ती आयी, बस्ती से कुदरहा सीएचसी भेजी गई वहा से पुनः बस्ती भेजा गया तब मेडिकल हो पाया। ऐसा कृत्य बालिकाओं के सर्वोच्च हित मे बाधक है, बच्चों के हित से किसी को खिलवाड़ नही करने दिया जायेगा।
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