वाराणसी। उत्तर प्रदेश सरकार ने वाराणसी के दालमंडी इलाके में सड़क चौड़ीकरण की जद में आ रहे मकानों के ध्वस्तीकरण के मामले में शपथ पत्र दाखिल कर कहा है कि जमीन के स्वैच्छिक हस्तांतरण या अनिवार्य अधिग्रहण या किसी अन्य माध्यम से जमीन का अधिग्रहण किए जाने तक इलाके में याचिकाकर्ता को ना तो बेदखल किया जाएगा और ना ही उसका निर्माण ध्वस्त किया जाएगा।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति मनोज कुमार गुप्ता और न्यायमूर्ति अनीश कुमार गुप्ता की खंडपीठ ने राज्य सरकार के जवाब को रिकॉर्ड में लेते हुए शहनाज परवीन द्वारा दायर रिट याचिका का 20 मई को निपटारा कर दिया. इससे पूर्व, 9 मई को अदालत ने पक्षकारों को वाराणसी में दालमंडी सड़क चौड़ीकरण की जद में आ रहे मकानों पर यथास्थिति कायम रखने का निर्देश दिया था. साथ ही अदालत ने राज्य सरकार और जिला प्रशासन से इस मामले में एक सप्ताह में जवाब मांगा था।
- दाल मंडी परियोजना पर मंत्रिमंडल की मंजूरी जरूरी
याचिकाकर्ताओं के वकील ने दलील दी थी कि राज्य के अधिकारी सड़क चौड़ी करने के लिए भूमि और मकानों का अधिग्रहण किए बगैर मकानों को ध्वस्त करने की धमकी दे रहे हैं। अदालत ने 9 मई के आदेश में कहा था, ‘‘मकानों का अधिग्रहण किए बगैर उन्हें ध्वस्त करने संबंधी खतरे की दलील पर विचार करते हुए हम सरकार से अगली तिथि तक यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश देते हैं।’’ याचिकाकर्ताओं के मुताबिक, दालमंडी इलाके में करीब 189 मकान, यथास्थिति के इस अंतरिम आदेश के बाद संरक्षित बने रहेंगे।
वकील ने दलील दी थी कि वाराणसी जिला प्रशासन सभी मकानों के लिए मुआवजा की एक रिपोर्ट तैयार कर रहा है। दालमंडी परियोजना 100 करोड़ रुपये से अधिक की है, इसलिए इसे मंत्रिमंडल की मंजूरी आवश्यक है। जिला प्रशासन की रिपोर्ट राज्य सरकार को भेजी जाएगी. उल्लेखनीय है कि काशी विश्वनाथ मंदिर जाने वाले मार्ग को सुगम बनाने के लिए राज्य सरकार ने चौक जाने वाली नयी सड़क से जुड़ी दाल मंडी रोड को 17 मीटर चौड़ा करने का निर्णय किया है। चौड़ीकरण की जद में करीब 189 मकान आ रहे हैं।
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