गोरखपुर। सरस्वती शिशु मंदिर पक्की बाग गोरखपुर में गुरु तेग बहादुर बलिदान दिवस के पूर्व संध्या पर अपने उद्बोधन में विद्यालय के आचार्य एस एन कुशवाहा ने कहा कि गुरु तेग बहादुर एक क्रांतिकारी युग पुरुष थे इन्होंने शीश कटाना गर्व समझा लेकिन धर्म को झुकने नहीं दिया। भारत भूमि क्रांतिकारियो, वीरों की भूमि रही है। उसी में से सिख धर्म के नवे गुरु, गुरु तेग बहादुर जी थे। जिन्होंने अपने मातृभूमि, धर्म, संस्कृति, और आदर्शों की रक्षा के लिए बलिदान दिया। गुरु तेग बहादुर ने अंधविश्वास, जाति-आधारित भेदभाव, और छुआछूत के खिलाफ लड़ाई लड़ी। उन्होंने मुगल शासक औरंगज़ेब के सामने इस्लाम स्वीकार करने से मना कर दिया था। इस पर औरंगज़ेब ने दिल्ली के लाल किले के सामने चांदनी चौक पर उनका सिर कटवा दिया था। गुरु तेग बहादुर ने अपने युग के शासन वर्ग की नृशंस और मानवता विरोधी नीतियों को कुचलने का कार्य किया। इनको
‘‘हिंद की चादर’’ भी कहा जाता है।
गुरु तेग बहादुर की याद में दिल्ली के ‘शहीदी स्थल’ पर गुरुद्वारा ‘शीश गंज साहिब’ बना है। उन्होने मुगलिया सल्तनत का विरोध किया। 1675 में मुगल शासक औरंगज़ेब ने उन्हे इस्लाम स्वीकार करने को कहा। पर गुरु साहब ने कहा कि सीस कटा सकते हैं, केश नहीं। इस पर औरंगजेब ने सबके सामने उनका सिर कटवा दिया। मात्र 14 वर्ष की आयु में अपने पिता के साथ मुगलों के हमले के खिलाफ हुए युद्ध में उन्होंने अपनी वीरता का परिचय दिया। इस वीरता से प्रभावित होकर उनके पिता ने उनका नाम तेग बहादुर यानी तलवार के धनी रख दिया।
संस्कृत ज्ञान प्रश्न मंच में रहा द्वितीय स्थान
संस्कृत ज्ञान प्रश्न मंच बाल वर्ग में विद्यालय के भैया अस्तित्व राय, सक्षम वर्मा , आयुष मिश्रा ने अखिल भारतीय स्तर पर द्वितीय स्थान प्राप्त किया। यह प्रतियोगिता उज्जैन में संपन्न हुई। इनको प्रशिक्षित करने में अमर सिंह, श्रीमती सुधा त्रिपाठी, श्रीमती रुपाली श्रीवास्तव का विशेष योगदान रहा। इस खुशी पर विद्यालय परिवार ने उनके उज्जवल भविष्य की कामना की साथ ही प्रथम सहायक श्रीमती रुक्मिणी उपाध्याय एवं आचार्य परिवार उनको सम्मानित किया। इस अवसर पर समस्त विद्यालय परिवार उपस्थित रहा।
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