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Sunday, May 19, 2024

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खामियां झेल रहा प्रकाष्ठ डिपो, आग से कैसे बचेंगी बेशकीमती

- वन निगम के प्रकाष्ठ डिपो की लकड़ियों की सुरक्षा के लिए इंतजाम हुए नाकाफी 

- बरसों से खराब पड़ा पंपिंग सेट, रेत की बाल्टियों में बालू नहीं तो फायर सिलेंडर में गैस भी खाली

- डिपो पर रखी गई हैं तकरीबन डेढ़ हजार घन मीटर कीमती सरकारी लकड़ियां

बस्ती। वन निगम के प्रकाष्ठ डिपो पर न तो पर्याप्त कर्मचारी हैं और न ही यहां के संसाधनों में दम रह गया है। ऐसे में तकरीबन डेढ़ हजार घन मीटर कीमती लकड़ियों को आग से कैसे सुरक्षित किया जा सकेगा यह सवालों के घेरे में है। जबकि जरा सी चूक पर जहां करोड़ों रुपए की लकड़ियों पर आग का खतरा मंडरा रहा है, वहीं यहां के वीभत्स नजारे की संभावना को लेकर आसपास के लोग दहशत के साए में जी रहे हैं।
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शहर के जेल रोड स्थित मिश्रौलिया स्टेट के दिलीप कुमार अस्थाना की जमीन पर मुख्य सड़क से सटे वन निगम ने तकरीबन सात एकड़ क्षेत्र में अपना प्रकाष्ठ डिपो स्थापित कर रखा है। यहां संतकबीरनगर, सिद्धार्थनगर व बस्ती जिले की सरकारी लकड़ियां लाकर भंडारित की जाती हैं। इनकी आग से सुरक्षा के लिए महज रेत की बाल्टियां ही सहारा हैं। जबकि यहां आग से सुरक्षा के लिए बहुत पहले की गई बोरिंग दशक पहले ही दगा दे गई है। यही नहीं यहां करीने से सजाई गई 17 बाल्टियों में न तो रेत है और न ही मिट्टी रखी गई है। वहीं एक बड़े व आधा दर्जन छोटे सिलेंडर में आग बुझाने वाली गैस भी उड़ चुकी है। जबकि मुख्य सड़क से सटे होने के कारण यहां आग का हर वक्त खतरा बना रहता है। इसको देखते हुए वन प्रकाष्ठ डिपो के गिने-चुने कर्मचारियों ने उच्चाधिकारियों से कई बार बोरिंग कराने व आग से अन्य सुरक्षा उपायों का इंतजाम करने की शिफारिश किया था लेकिन नतीजा शून्य रहा। यही नहीं यहां मानक के अनुसार कर्मचारी भी नहीं तैनात हैं। जिसको लेकर वन निगम कभी भी गंभीर नहीं हुआ। 
- सिर्फ चार कर्मचारियों के सहारे चल रहा डिपो
प्रकाष्ठ डिपो पर प्रभारी शरजील अहमद के अलावा डाकिया लालबहादुर, रसोइया सुदामा व चौकीदार एखलाक अधिकारी तैनात हैं। जबकि कम से कम दो स्केलर यानी कि नाप जोख करने वाले व दो अन्य सहयोगी कर्मचारियों की कमी लंबे समय से बनी हुई है। 
- इन बेशकीमती लकड़ियों का किया गया है भंडारण
डिपो प्रभारी शरजील अहमद के अनुसार यहां साखू, सागौन व शीसम के अलावा कोमल काष्ठ जैसे सेमर, फुकाट, यूके लिप्टस व अन्य प्रजाति के तकरीबन दो हजार घन मीटर लकड़ियों का भंडारण किया गया है। यह लकड़ियां सड़क व हाईवे के चौड़ीकरण के दौरान मंडलीय जिलों से काटी गई थीं या फिर काटी जा रही हैं। 
- अधिकारियों के संज्ञान में है समस्या
डिपो प्रभारी शरजील अहमद ने बताया कि कर्मचारियों की समस्या को उच्चाधिकारियों के संज्ञान में लाया गया है। बाल्टियों में रेत व एलायड फायर में गैस न होने की बात पर वह चुप्पी साध गए। बात बदलते हुए कहा कि अब हाईटेक व्यवस्था के तहत एलायड बॉल की व्यवस्था की जा रही है। जल्द ही वह डिपो पर पहुंचने वाला है। 

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