प्रयागराज। मथुरा के बांके बिहारी मंदिर की जमीन को राजस्व अभिलेखों में कब्रिस्तान दर्ज करने के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट गुरुवार को सुनवाई करेगा। हाईकोर्ट ने आज तहसीलदार छाता को अदालत में तलब किया है। तहसीलदार को कोर्ट में पेश होकर यह बताना होगा कि बांके बिहारी मंदिर के नाम पर जमीन को पहले कब्रिस्तान और बाद में पुरानी आबादी में कैसे दर्ज किया गया। पिछली सुनवाई में कोर्ट ने पूछा था कि शाहपुर गांव के प्लाट 1081 की स्थिति राजस्व अधिकारी द्वारा समय-समय पर क्यों बदली गई।
बता दें कि श्री बिहारी जी सेवा ट्रस्ट की ओर से यह याचिका दाखिल की गई है। याचिका में कहा गया है कि प्राचीन काल से ही गाटा संख्या 1081 बांके बिहारी महाराज के नाम से दर्ज था। आरोप है कि भोला खान पठान ने राजस्व अधिकारियों की मिलीभगत से 1994 में उक्त भूमि को कब्रिस्तान में दर्ज करा लिया। इसकी जानकारी होने पर श्री बिहारी जी सेवा ट्रस्ट ट्रस्ट ने आपत्ति दाखिल की. प्रकरण वक्फ बोर्ड तक गया और सात सदस्यीय टीम ने जांच में पाया कि कब्रिस्तान गलत दर्ज किया गया है। इसके बावजूद जमीन पर बिहारी जी का नाम नदर्ज नहीं किया गया, जिस पर यह याचिका दायर की गई है।
जस्टिस सौरभ श्रीवास्तव की सिंगल बेंच में आज मामले की सुनवाई होगी, जिसमें तहसीलदार छाता को पेश होकर बताना होगा कि बांके बिहारी मंदिर के नाम की जमीन को कैसे पहले कब्रिस्तान और फिर बाद में आबादी में दर्ज किया गया। सुनवाई में यह भी बताना होगा कि राजस्व विभाग द्वारा समय-समय पर जमनीन की स्थिति क्यों बदली गई।
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