<!--Can't find substitution for tag [blog.voiceofbasti.page]--> - Voice of basti

Voice of basti

सच्ची और अच्छी खबरें

Breaking

वॉयस ऑफ बस्ती में आपका स्वागत है विज्ञापन देने के लिए सम्पर्क करें 9598462331

Thursday, August 17, 2023

धान रोपाई में प‍िछड़ा मिर्जापुर, मानसून में भी पानी की किल्लत से जूझ रहे किसान

मिर्जापुर। जब बारिश की ज़रूरत थी, उस समय हुई नहीं।  धान की नर्सरी बहुत अच्छी थी लेकिन ज्यादातर सूख गई। खास बात यह है कि किसी तरह कुछ फसल बची, जिसका रोपा हुआ है। उसमें समय पर पानी न मिलने से लागत भी बढ़ गई। नुकसान और बढ़ गया।  बस यही समझिये कि लागत भी निकलने की संभावना नहीं दिख रहा है। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से लगभग 300 किलो मीटर दूर जिला मिर्जापुर में अदलहाट के रहने वाले किसान सतीश मिश्रा अपना दुख साझा करते हुए कहते हैं।


अपेक्षा के अनुरूप बारिश नहीं होने से मिर्जापुर जिले के ज्यादातर किसानों की कहानी भी सतीश मिश्रा की ही तरह है। कृषि विभाग के आंकड़ों के मुताबिक मानसून की शुरुआत से जुलाई महीने तक जनपद में औसत 434 मिमी बारिश होना चाहिए थी। लेकिन जुलाई महीने तक आधे से भी कम सिर्फ 116 मिमी बारिश हुई है। धान उत्पादन में अहम योगदान देने वाले मिर्जापुर जनपद के बांध में सिंचाई के लिए पानी शेष नहीं बचा हुआ है। दूसरी तरफ इंद्र देव भी किसानों से नाराज दिख रहे हैं। हाल यह हो गया है कि किसानों ने इस बार धान की रोपाई ही नहीं क़िया। कुछ किसानों ने धान की रोपाई भी की है तो खेतों में ही फसलें सूख रही हैं।

बांध से अधिकांश किसान करते हैं सिंचाई :

मिर्जापुर जिले में किसानों के खेतों की अधिकांश सिंचाई बांध से होती है। चुनार क्षेत्र की सिंचाई जरगो बांध व अहरौरा बांध से होती है. बांध से अहरौरा, जमालपुर व नारायनपुर सहित अन्य क्षेत्र के किसानों को लाभ मिलता है, लेकिन इस बार बांध में पानी नही है। लालगंज क्षेत्र की सिंचाई अदवा बांध से होती है, लेकिन उसमें में पानी नही है। मड़िहान के सिरसी बांध में धूल उड़ रहा है।  बारिश नही होने से चुनार व मड़िहान तहसील ज्यादा प्रभावित हुआ है। बाण सागर नहर परियोजना भी महज छलावा साबित हुआ। बाण सागर से सभी प्रमुख बांध में पानी भेजा जाना था, लेकिन मुसीबत में वो भी सहारा नही बन रहा है।

उप निदेशक कृषि ने कहा, अरहर व मक्का की खेती करें किसान

उप निदेशक कृषि विकेश पटेल ने बताया कि जिले में 60,792 हेक्टेयर क्षेत्रफल में धान की बुवाई का लक्ष्य रखा था जो कि लगभग 60ः के आसपास ही पूरा हो पाया है। बारिश बहुत कम हुई है, ऐसे में 15 दिन पहले ही सूखा को लेकर रिपोर्ट लगाकर शासन को भेज दिया गया है। उन्होंने किसानों से अपील करते हुए कहा कि कम समय व कम पानी में तैयार होने वाली फसलों की खेती करें।  ऐसे में किसान अरहर व मक्का या कम पानी में तैयार होने वाली खेती कर सकते है। जो किसान गेंहू की खेती करना चाहते हैं उनके लिए तोरिया सबसे बढ़िया फसल होगी। यह फसल 55 से 60 दिन में तैयार हो जाती है, इसको सिर्फ एक पानी की जरूरत होती है।

No comments:

Post a Comment

Post Bottom Ad

Responsive Ads Here

Pages