मुश्किलें बढ़ती गईं , रस्ता सुगम नहीं हुआ
उजाले लाख आए पर दूर तम नहीं हुआ
दुख भुलाने के लिए, हर एक जतन कर लिया
हर दवा प्रयोग की पर, दर्द कम नहीं हुआ
कितने सारे गम मिले थोडी़ खुशी की चाह में
ठोकरें सदा मिली हैं जिंदगी की राह में
किस्सा कोई जिंदगी का अहम नहीं हुआ
हर दवा प्रयोग की पर, दर्द कम नहीं हुआ
हर कदम पे एक नया सबक सिखाती जिंदगी
हर घड़ी -हरेक पल है जुल्म ढाती जिंदगी
मिन्नतें भी लाख कीं लेकिन करम नहीं हुआ
हर दवा प्रयोग की पर, दर्द कम नहीं हुआ
आधी उम्र बीती थी खामोशियों के डेरे में
और आधी बीती मायूसियों के घेरे में
लग रहा है कि सफल ये जनम नहीं हुआ
हर दवा प्रयोग की पर, दर्द कम नहीं हुआ
विक्रम कुमार

No comments:
Post a Comment