अयोध्या। भव्य शोभा यात्रा के साथ मंगलवार को श्रीरामलला के 77वें प्राकट्य महोत्सव का समापन हुआ। श्री श्रीराम जन्मभूमि सेवा समिति की ओर से पौष शुक्ल प्रतिपदा से तृतीया तक आयोजित तीन दिवसीय महोत्सव में श्रद्धा, भक्ति और परंपरा का अद्भुत संगम देखने को मिला। समिति के पदाधिकारियों ने 21 दिसंबर को श्रीरामलला के आर्चक को पूजन हेतु कलश सौंपा था। तीन दिवसीय विधिवत पूजन के पश्चात पूजित कलश को पुनः समिति को सौंपा गया। इसके बाद पूजित कलश और हनुमान महाराज के निशान के साथ हाथी-घोड़े, बैंड-बाजे के साथ भव्य शोभायात्रा निकाली गई। शोभायात्रा में समिति के सभापति महंत धर्म दास, महामंत्री अच्युत शंकर शुक्ल, संयुक्त मंत्री महंत डॉ जयरामदास, महंत राम मिलन शरण, महंत उद्धव शरण, महंत मनीष दास, महंत सीतारामदास महात्यागी, शरद शुक्ल सहित अयोध्या के संत-महंत, संस्कृत के विद्यार्थी एवं बड़ी संख्या में रामभक्त सम्मिलित हुए।
शोभा यात्रा ने श्रीरामकोर्ट की परिक्रमा की। उल्लेखनीय है कि आज ही की तिथि पौष शुक्ल तृतीया, संवत 1949 में श्रीराम जन्मभूमि मंदिर में प्रभु श्रीरामलला का प्राकट्य हुआ था तथा उनके तीनों भाइयों के साथ प्राण प्रतिष्ठा की गई थी। इसी ऐतिहासिक घटना की स्मृति में सेवा समिति प्रतिवर्ष यह प्राकट्य महोत्सव अनवरत मनाती आ रही है।
इस वर्ष महोत्सव समिति के अध्यक्ष डॉ. रामविलास वेदांती के साकेतवास के कारण भावुक रहा। उनकी स्मृति में उनके चित्र को रथ पर विराजमान कर परिक्रमा की गई। शोभा यात्रा श्रीराम जन्मभूमि गेट नंबर तीन स्थित क्षीरेश्वर नाथ मंदिर से प्रारंभ होकर टेढ़ी बाजार, अशर्फी भवन होते हुए पुनः क्षीरेश्वर नाथ मंदिर पहुंची। वहां जय श्रीराम के उद्घोष के साथ अगले वर्ष महोत्सव को और अधिक भव्य रूप से मनाने के संकल्प के साथ कार्यक्रम का समापन किया गया।समिति के महासचिव अच्युत शंकर शुक्ल एवं संयुक्त मंत्री महंत जयरामदास ने सभी संतों, अतिथियों एवं श्रद्धालुओं के प्रति आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर हजारों की संख्या में संत, महंत, विद्यार्थी और रामभक्त उपस्थित रहे।
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